दोस्तो,
2011 अपना दायित्व निभाकर जा रहा है और 2012 का सूर्य नयी लालिमा से जगत को चमकाने के लिए आने को है। आइए, नवागत का खुले हृदय से स्वागत करें।
सन् 2002 में अपनी-अपनी सोच (संतोष गर्ग), अपने आसपास (मनु स्वामी), एक और एकलव्य (मदन लाल वर्मा), कागज़ के रिश्ते (राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’), कीलें (कालीचरण प्रेमी), गुस्ताखी माफ (सुदर्शन भाटिया), घोषणापत्र (जीवितराम सेतपाल), छँटता कोहरा (डॉ मिथिलेश कुमारी मिश्र), जब द्रोपदी नंगी नहीं हुई (युगल), पश्चाताप की आग (सुदर्शन भाटिया), बदले हुए शब्द (भारती खुबालकर), ब्लैकबोर्ड (मधुकांत), मीमांसा (मथुरानाथ सिंह ‘रानीपुरी’), मेरा शहर और ये दंगे (डॉ॰ शैल रस्तौगी), यथार्थ के साये में (आलोक भारती), यह भी सच है (डॉ॰ शैल रस्तौगी), रोटी का निशान (सुखचैन सिंह भंडारी), लुटेरे छोटे-छोटे (सत्यप्रकाश भारद्वाज), शब्द साक्षी हैं (सतीश राठी), सरोवर में थिरकता सागर (वीरेन्द्र कुमार भारद्वाज), सॉरी सर! (सुदर्शन भाटिया), सुरंगनी (कृष्णा भटनागर), स्याह सच (हृषीकेश पाठक), हजारों-हजार बीज (भगवान दास वैद्य ‘प्रखर’) कुल 25 संग्रहों की सूची प्राप्त हुई है। इनमें से जितने भी संग्रह मेरे पास उपलब्ध हैं उनमें से प्रस्तुत है एक-एक लघुकथा—
2011 अपना दायित्व निभाकर जा रहा है और 2012 का सूर्य नयी लालिमा से जगत को चमकाने के लिए आने को है। आइए, नवागत का खुले हृदय से स्वागत करें।
अनूशहर(जिला:बुलन्दशहर) की एक शाम चित्र:बलराम अग्रवाल |
चिड़िया/सतीश राठी
उड़ती हुई चिड़िया सेठ करोड़ीमल की खिड़की पर जा बैठी और चहकने लगी। हिसाब-किताब कर रहे सेठ जी को उसका चहकना अपने काम में बाधक लगा। सेठ ने उठकर चिड़िया को उड़ा दिया और खिड़की बंद कर दी।
चिड़िया उड़कर एक कवि के दरवाज़े पर जा बैठी। कवि अपनी कविता रचने के रचनाक्रम में इतना तल्लीन था कि चिड़िया की चहकती हुई दस्तक उसकी तल्लीनता को भंग नहीं कर पाई।
तब चिड़िया उड़कर चित्रकार के कला-कक्ष में जा पहुँची। चित्रकार अपने मन की सारी कुंठाओं को केनवास पर अंकित कर रहा था। उसकी समझ में ही नहीं आया कि चहकती चिड़िया को केनवास के किस कोने पर अंकित करे।
निराश चिड़िया उड़ती हुई एक नेता जी के दरबार में जा पहुँची। नेता जी ने चिड़िया को देखा तो उनकी बाँछें खिल गईं। जेब में हाथ डालकर उन्होंने चुग्गा निकाला और चिड़िया के आगे डाल दिया। चहकती हुई चिड़िया जैसे-ही नेता जी के पास पहुँची, उन्होंने उसे झपट्टा मारकर पकड़ लिया और चिड़िया की गरदन मरोड़ दी।
खानसामे ने उस दिन नेता जी के लिए अव्वल दर्जे का शोरबा बनाया।