लेखक-संपादक : डाॅ. किरन पाल सिंह
संकलन-संयोजक : इशाक अली 'सुन्दर'
ISBN: 978-81-19208-13-5
सहयोग राशि: 550.00/-
प्रथम संस्करण : 2023
© डॉ. किरन पाल सिंह
प्रकाशक
डॉ. चन्द्रकेतु तेवतिया
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मुद्रक : आर. के. ऑफसेट प्रोसेस, दिल्ली
BULANDSHAHAR KE DIVANGAT SAHITYAKAR
Writer-Editor: Dr. Kiran Pal Singh Compiler: Ishak Ali 'Sunder'
Price: 550.00/-
भूमिका
-डॉ. कमल किशोर गोयनका
हिन्दी साहित्याकाश में आपको बुलन्दशहर दिखाई नहीं देगा और न ही इसकी इच्छा आपके मन में होगी कि बुलन्दशहर कृषि एवं सेना को श्रेष्ठ योद्धा तथा उच्च सैन्य पदाधिकारी देने वाले अंचल में, जो खड़ीबोली का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है, वहां हिन्दी भाषा और साहित्य का क्या स्वरूप रहा है? आपको अधिक-से-अधिक यही मालूम होगा कि सेनापति और घनानंद जैसे प्रसिद्ध कवि बुलन्दशहर में पैदा हुए थे। आपको यह ज्ञात नहीं होगा कि कालिदास के ' अभिज्ञान शाकुंतलम्', 'मेघदूत' आदि का हिन्दी में अनुवाद करने वाले राजा लक्ष्मण सिंह (1826-1896)
बुलन्दशहर में डिप्टी कलेक्टर थे और उन्होंने बुलन्दशहर का इतिहास भी लिखा था और मेरे दादाश्री सेठ बद्रीदास गोयनका से उनके गहरे संबंध थे और मुझे अपने परिवार के पुस्तकालय से 'मेघदूत' के प्रथम संस्करण की प्रति मिली, जिसे मैं प्रकाशित कराना चाहता हूँ। आपको यह भी ज्ञात नहीं होगा कि बुलन्दशहर गंगा और यमुना के बीच में स्थित है और महाभारत काल की राजधानी के अत्यंत निकट रहा है और पहले नाम बरन था। आपको यह भी ज्ञात नहीं होगा कि 1857 के विद्रोह में बुलन्दशहर के कुछ देशप्रेमियों को नगर के एक चौराहे पर एक पेड़ पर लटकाकर फाँसी दे दी गई थी और उसके बाद वह चौराहा 'कालेआम' के रूप में अब तक जाना जाता है। आपको यह भी ज्ञात नहीं होगा कि 1947 में भारत-विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण पर नगर के केंद्र चौक बाजार के निकट मुस्लिम सराय से 'अल्लाह हो अकबर' के नारे लग रहे थे, तब तत्कालीन कलेक्टर भगवान सिंह ने केवल दो-चार सिपाहियों से ऊपर कोट से मुस्लिम नेता को गिरफ्तार कर लिया था और नगर में कोई दंगा नहीं हो सका। ये डॉ. भगवान सिंह फीजी में भारतीय राजदूत रहे और फिर दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर रहे और तब मेरी उनसे कई बार भेंट हुई। मुझे याद है कि उस समय और उसके बाद भगवान सिंह के इस योगदान को बुलन्दशहर के लोग भूल नहीं पाये और उस समय मैं 9 वर्ष का था और हमारी शीतलगंज हवेली (जो सबसे ऊँची और सुरक्षित थी) में मौहल्ले के काफी लोग इक्ट्ठा होकर छत पर आ गये थे और मुझे आज भी वह दृश्य याद है। आपको यह भी याद नहीं होगा कि कैप्टिन भगवान सिंह हिन्दी प्रेमी थे और उन्होंने ही बुलन्दशहर के कलेक्टर के कार्यकाल में 'हिन्दी साहित्य परिषद्' को जमीन आवंटित की थी और वे हिन्दी में कभी-कभी लिखते भी थे। आपको यह भी ज्ञात नहीं होगा कि बुलन्दशहर में हर साल नुमाइश लगती है और उसमें हर तरह की दुकानें, खेलकूद, सर्कस, कवि सम्मेलन आदि होते हैं और उसमें हमारी व्यापारिक फर्म हिस्सा लेती थी और सबसे बड़ी दुकान होती थी। इसी के कवि सम्मेलन में मैंने पहली बार बच्चन को सुना था। आपको यह भी ज्ञात नहीं होगा कि नरौरा तहसील में परमाणु विद्युत संयंत्र लगा है और राजघाट प्रसिद्ध गंगा का तीर्थस्थल है तथा खुर्जा का पॉटरी व्यापार देश में प्रसिद्ध है। आपको यह भी ज्ञात नहीं होगा कि मैंने और अनेक बुलन्दशहरी लोगों ने दिल्ली में रहते हुए बुलन्दशहर को दिल्ली से सीधे रेल लाइन से जुड़वाने की कोशिश की और जब हमारे शहर के सांसद उप रेलमंत्री बने, तब अधिक की, लेकिन दुर्भाग्यवश आज तक भी बुलन्दशहर सीधी रेल लाइन से दिल्ली से नहीं जुड़ पाया है और बुलन्दशहर के आर्थिक एवं औद्योगिक विकास में यह सबसे बड़ी बाधा है। आपको यह भी ज्ञात नहीं होगा कि रुड़की से निकलने वाली गंग नहर बुलन्दशहर से गुजरती है और उसने उसके बाद इस जंगलनुमा भूमि को उर्वरा बना दिया और यह अंचल कृषि के उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया ।
बुलन्दशहर की ऐसी अनेक बातें तथा तथ्य एक जनपद होने के कारण तथा राजधानियों और राजपथ से दूर और उपेक्षित होने के कारण वहाँ आज भी इसी प्रकार का जीवन चल रहा है और साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय मंच तक पहुँचने वाले चार-पाँच लेखकों से अधिक नहीं हैं। इस समय बुलन्दशहर के सुधा गोयल, मुकेश निर्विकार, निर्देश निधि, देवेंद्र मिर्जापुरी, प्रसून, अनूप सिंह आदि लेखकों ने हिन्दी-संसार में अपनी पहचान बनाई है और विख्यात भाषाविद् डॉ. महावीर सरन जैन तो सेवानिवृत्ति के बाद वहीं रह रहे हैं और साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करते रहते हैं। ऐसी स्थिति में डॉ. किरन पाल सिंह की पुस्तक 'बुलन्दशहर के दिवंगत साहित्यकार' इस ओर एक नई रोशनी डालती है और वे बुलन्दशहर के दिवंगत लगभग सौ साहित्यकारों का एक प्रकार से परिचयात्मक कोश ही प्रस्तुत कर रहे हैं। बुलन्दशहर के पहले साहित्यकार सेनापति थे, जिनका जीवन काल 1584 से 1688 के लगभग तक रहा। 2022 में दिवंगत हुए साहित्यकारों में मेरे अभित्र मित्र डॉ. रमाकांत शुक्ल भी हैं, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर थे और संस्कृत भाषा के प्रकांड पंडित थे तथा इमर्जेसी काल में वे मेरे साथ दिल्ली की तिहाड़ जेल में थे। इस पुस्तक के लेखक डॉ. किरन पाल सिंह ने बुलन्दशहर के 108 दिवंगत साहित्यकारों की सूची दी है, जिनमें अधिकांश अपने जनपद तक ही सीमित रहे और उनमें से काफी साहित्यकारों ने यश की कामना नहीं की और साहित्य-साधना करके ही संतुष्ट रहे। इनमें कुछ ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होने बुलन्दशहर की सीमा से निकल कर अपने साहित्य के द्वारा प्रांत के साथ कुछ राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई। इनमें आचार्य चतुरसेन शास्त्री, डॉ. रामदत्त भारद्वाज, दयानिधि शर्मा वैद्य, डॉ. कृष्णचंद्र शर्मा 'चंद्र', विश्वंभर मानव, पंडित नरेंद्र शर्मा, कैप्टिन भगवान सिंह, जगदीशचंद्र माथुर, सरस्वती कुमार 'दीपक', डॉ. शंकरदेव अवतरे, डॉ. द्वारिकाप्रसाद सक्सेना, डॉ. हरीन्द्र शास्त्री, राधेश्याम प्रगल्भ, जयपाल 'तरंग', शिशुपाल सिंह 'निर्धन', रमेश कौशिक, डॉ. रत्नलाल शर्मा, सरला अग्रवाल, रत्नप्रकाश 'शील', डॉ. कृष्णचंद्र गुप्त, डॉ. रमाकांत शुक्ल, डॉ. श्याम निर्मम आदि से मेरा परिचय रहा, संपर्क रहा और साहित्य के नाते कभी-कभी भेंट तथा वार्ता हुई और इसमें बुलन्दशहर के होने की मधुरता भी मिली-जुली रहती और इनमें से कुछ तो ऐसे भी रहे, जिनसे अक्सर फोन पर बातचीत होती रहती थी। ये बुलन्दशहर के वे साहित्यकार थे, जिन्होंने बुलन्दशहर को जनपद की सीमा से बाहर निकाल कर राष्ट्रीय मंच पर स्थापित किया और अपनी मातृभूमि तथा कर्मभूमि के संस्कार तथा परिवेश से अनुभूति-जन्य साहित्य की रचना करके प्रतिष्ठित हुए। यह ठीक है कि बुलन्दशहर प्रयाग, वाराणसी के समान साहित्य में प्रतिष्ठित नहीं हो सका, लेकिन जो परंपरा इन दिवंगत साहित्यकारों ने स्थापित की है, वह अवश्य ही एक दिन ऐसे कालजयी साहित्यकार को जन्म देगी जो इस नगर को भी साहित्य के नक्शे पर अपनी शोभा दिखाने का अवसर देगा।
डॉ. किरन पाल सिंह ने 'बुलन्दशहर के दिवंगत साहित्यकार' पुस्तक लिखकर एक शोधकर्मी साहित्यकार के साथ अपनी मातृभूमि का भी अभिनंदन किया है, जहाँ सौ से अधिक हिन्दी साहित्यकारों का इतिहास मिलता है और प्रत्येक साहित्यकार के संबंध में हमारी जानकारी का विस्तार करता है। यह ठीक है कि ये बुलन्दशहर जनपद के रचनाकार हैं, परंतु साहित्य की मुख्य धारा को अपने प्रवाह से और अधिक गतिमान तथा व्यापक बनाते हैं। मेरे विचार में यह पुस्तक एक प्रकार से बुलन्दशहर के हिन्दी साहित्य का इतिहास है और इसे वहाँ के स्कूलों तथा महाविद्यालयों तक अवश्य पहुँचना चाहिए, जिससे हमारी नई पीढ़ियाँ साहित्य के क्षेत्र में भी अपने पूर्वजों के योगदान को जान सकें।
मैं, डॉ. किरन पाल सिंह की इस पुस्तक का स्वागत करता हूँ और उनके इस बुलन्दशहर-प्रेम तथा वहाँ के साहित्यिक इतिहास को लिखने के लिए साधुवाद देता हूँ।
डॉ. कमल किशोर गोयनका
पूर्व प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय
पूर्व उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा,
भारत सरकार
ए-98, अशोक विहार, फेज प्रथम,
दिल्ली-110052
मोबाइल : 09811052469
ईमेल : kkgoyanka@gmail.com
बुलन्दशहर का पताः
श्रीलक्ष्मी नारायण का मंदिर
शीतलगंज चौक बाजार
बुलन्दशहर (उ.प्र.)
इस ग्रंथ के सम्मान्य लेखकगण
1. श्री इशाक अली 'सुन्दर'- ग्राम व पोस्ट-भटौना, जिला-बुलन्दशहर
मोबा : 8445542809
2. डॉ. एम.ए.लारी 'आज़ाद'- संपादक/प्रकाशक 'कालजयी', पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष (इतिहास विभाग), एन.आर.ई.सी. कॉलेज, खुर्जा (बुलन्दशहर), ए-2, सामी अपार्टमेन्ट, दोधपुर, अलीगढ़ (उ.प्र) -202001
मोबा : 8791150515
3. श्री ओमप्रकाश आर्य, एडवोकेट, म.नं. 521, HIG आवास विकास प्रथम, निकट डी.एम.कॉलोनी, बुलन्दशहर (उ.प्र.)-203001
मोबा: 9759508696
4. डॉ. कमलेश माथुर-जी-11, जनपथ, श्यामनगर, जयपुर (राज.)
मोबा. 8690099698
5. डॉ. किरन पाल सिंह-196, दक्षिण वनस्थली, मंदिर मार्ग, बल्लूपुर, देहरादून (उत्तराखण्ड) - 248001
मोबा. 9456157016
6. श्री कौशल कुमार - H-297, गंगानगर, मेरठ- 250001 मोबा: 9720792401
7. डॉ. चन्द्रपाल शर्मा :- सर्वोदयनगर, पिलखुवा- 245304 जिला- हापुड़, (उ.प्र.)
मोबा: 7668115174/8171969096
8. श्री दिव्य हंस 'दीपक'- ग्राम- बैनीपुर, पोस्ट- गाजीपुर, जिला-बुलन्दशहर -203205
मोबा : 9761043984
9. डॉ. नृत्य गोपाल शर्मा - म.नं. 43, पॉकेट-4, सेक्टर-21, रोहिणी, दिल्ली-110086
मोबा : 9818633238
10. श्री प्रमोद प्रणव- 146, हरि एन्क्लेव, बुलन्दशहर – 203001
मोबा : 9456604870
11. श्री मुमताज 'सादिक'- सी-2-17, राजू पार्क, दिल्ली-80 मोबा: 7011335811
12. श्री योगेन्द्र कुमार - सेवानिवृत्त एडीशनल कमिश्नर (वाणिज्य कर) उत्तर प्रदेश, जी - 49, बीटा- 11, सिक्स्थ क्रॉस स्ट्रीट, रामपुर मार्केट के सामने, ग्रेटर नोएडा (उ.प्र.) -2013101,
मोबा: 9871395282
13. श्री योगेन्द्रदत्त शर्मा- 'कवि कुटीर', के.बी-153 प्रथमतल, कविनगर, गाजियाबाद (उ.प्र.)-201002
मोबा: 9311953571
14. प्रो. राजीव कुमार - अध्यक्ष राजनीति शास्त्र विभाग एवं अधिष्ठाता समाज विज्ञान संकाय, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी (बिहारी) मोबा: 8707310684
15. श्री राजेश गोयल - नई बस्ती, औरंगाबाद, जिला- बुलन्दशहर - 203401
मोबा : 9411834980
16. डॉ. विष्णुकान्त शुक्ल 'विभावना', प्रद्युम्ननगर, सहारनपुर (उ.प्र.) -247001
मोबा : 9027338096
17. श्री शम्भूदत्त त्रिपाठी 'देवदानपुरी' 20/268, कोठियात, होटल राजदरबार के पीछे, बुलन्दशहर (उ.प्र.)
मोबा: 8869801282
जन्म : 7 जुलाई सन् 1940ई0
माता : श्रीमती हरि देवी
पिता : चौधरी मुखत्यार सिंह
जन्मस्थान : ग्राम भटौना, जिला - बुलन्दशहर (उ०प्र०)
शिक्षा : एम. ए. हिन्दी, डी. फिल्. (डॉक्टर ऑफ फिलासफी), डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नालॉजी (डी.एम.एल.टी)
कार्यक्षेत्र : 40 वर्ष पराचिकित्सा क्षेत्र में सरकारी सेवा। वर्ष 1999 में ओ.एन. जी.सी.लि. चिकित्सालय, देहरादून (उत्तराखण्ड) से सेवानिवृत्त। अपने विभागीय तकनीकी कार्यों के साथ ही राजभाषा - राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार-व्यवहार पर विशेष बल दिया। पेट्रोलियम तकनीकी शब्दावली निर्माण में विशेष योगदान ।
राजभाषा संगोष्ठियाँ : वर्ष 1998 से 2016 तक देश के विभिन्न प्रान्तों में अखिल भारतीय राजभाषा संगोष्ठियों का आयोजन किया गया, जिनमें से 9 संगोष्ठियाँ दक्षिण भारत के अहिंदी भाषी प्रदेशों में, सरकारी कार्मिकों का मार्ग-दर्शन एवं प्रोत्साहन किया।
प्रकाशित कृतियाँ :
मौलिक :
1. संक्षिप्त चिकित्सा निर्देशिका सन् 1986
2. गरिमामयी राजभाषा हिन्दी सन् 2004
3. हिन्दी के दिवंगत अल्पायु रचनाकार सन् 2016
4. राजभाषा हिन्दी के प्रबल पक्षधर सन् 2021
संकलित : हिन्दी महिमा सागर सन् 2014
संपादित ग्रंथ :
1. 'गोमती से गंगोत्री' श्री नित्यानन्द स्वामी अभिनंदन ग्रंथ, प्रथम मुख्यमंत्री - उत्तराखंड (2003).
2. राजभाषा हिन्दी : चिंतन और चेतना (2007)
3. 'संस्तवन एक आलोक पुरुष का' : पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह स्मृति - ग्रंथ (2010) -
4. भारतीय नरेशों की हिन्दी - सेवा (2018)
5. हिन्दी अनुरागी मुख्यमंत्री (2022) (साहित्य तक की भाषा आलोचना-2022 की 'टाप-टेन' पुस्तकों में चयनित)
6. विधानसभा अध्यक्षों का हिन्दी अवदान (2022)
विशेष सहयोग :
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जीवन्त व्यक्तित्व एवं अटल चिन्तन-2019
संपादित पत्रिका :
1. 'देवांशी' प्रथम उत्तरांचल गाँव का मेला (2000)
2. 'उत्तरपथ' उत्तरांचल राज्य खेल (2001)
प्रस्तुत ग्रंथ : बुलन्दशहर के दिवंगत साहित्यकार
शीघ्र प्रकाश्य : हिन्दी - सेवी राज्यपाल
संप्रति : भारतीय राजभाषा विकास संस्थान, देहरादून के कार्यक्रम निदेशक के रूप में राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार-उन्नयन में संलग्न ।
संपर्क - सूत्र :
'पारिजात', 196 दक्षिण वनस्थली, मंदिर मार्ग, बल्लूपुर, देहरादून (उत्तराखण्ड) 248001
मो0 919456157016,
वाट्स एप्प : 916396041585
ई-मेल : kartikeya4188@gmail.com
कवि, साहित्यकार, पत्रकार, पर्यावरणविद्
शैक्षणिक नाम : इशाक अली
साहित्यिक नाम : इसहाक अली 'सुन्दर'
जन्म तिथि : 3 मई 1974
पिता का नाम : श्री शरीफ खान (स्व.)
माता का नाम : श्रीमती गफूरन (स्व.)
जन्म स्थान : भटौना, जिला-बुलन्दशहर (यू.पी.)
शिक्षा : एम.ए (हिंदी, समाजशास्त्र) एम.एस.डब्लयू, विद्यावाचस्पति
विधा : गीत, ग़ज़ल, कविता, संस्मरण, लेख, साक्षात्कार ।
पूर्व उप-संपादक : भारतीय पत्रकार जगत पत्रिका
पूर्व प्रसार व्यवस्थापक : जहानुमां उर्दू पत्रिका गंगोह (उ.प्र.)
पूर्व जिला संवाददाता : उपभोक्ता अधिकार पाक्षिक समाचार पत्र जयपुर (राजस्थान)
पूर्व जिला उपाध्यक्ष : भारतीय दलित साहित्य अकादमी शाखा-बुलन्दशहर।
पूर्व अतिथि सदस्य : शुभम साहित्य, कला एवं संस्कृति संस्थान गुलावठी (उ.प्र.)
स्थायी सदस्य : पीपल फॉर एनिमल्स, नई दिल्ली
साहित्य सहयोगी : बुलंदप्रभा साहित्यिक पत्रिका
जिला अध्यक्ष : भारतीय दलित साहित्य अकादमी, शाखा हापुड़
विशेष सम्मान : अन्तर्राष्ट्रीय सेवा रत्न अवार्ड - 2022
: राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पुरस्कार - 2022
: विविधता में एकता राष्ट्रीय सम्मान - 2020
: गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 'सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंसी'
: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 'सर्टिफिकेट ऑफ मैरिट'
विदेश यात्रा : सउदी अरब
संप्रति : स्वतंत्र लेखन एवं सामाजिक कार्य में सक्रिय
स्थायी पता : ग्राम व पोस्ट-भटौना, जिला-बुलन्दशहर
मोबा.-9870680006, 8445542809
ई-मेल-ishakalisunder@gmail.com
sunder_ishak_ali@yahoo.com
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