तीन किस्तों में समाप्य लंबे लेख की पहली कड़ी
सन् 1974 में रावतभाटा राजस्थान के लघुकथाकार भगीरथ ने रमेश जैन के साथ
राजस्थान के कई लघुकथाकार अपने लेखन के दम पर
राष्ट्रीय स्तर पर विशेष रूप से पहचाने जाते हैं |
इनमें से प्रमुख हैं डॉ.शकुंतला किरण,
भगीरथ, मोहन
राजेश, डॉ.रामकुमार
घोटड़,
महेंद्रसिंह महलान(स्व.),
अंजना अनिल,
पुष्पलता कश्यप,
प्रबोध कुमार गोविल,
प्रो.बी.एल.आच्छा,
पारस दासोत(स्व.),
मुरलीधर वैष्णव,
रत्नकुमार सांभरिया,
माधव नागदा आदि |
राजस्थान के लघुकथा रचना कर्म को मुकम्मल रूप से सामने लाने का जिन साथियों ने
महत्वपूर्ण कार्य किया है उनमें प्रमुख हैं -महेंद्रसिंह महलान,
अंजना अनिल,
भगीरथ और डॉ.रामकुमार घोटड़ |
महेन्द्रसिंह महलान और अंजना अनिल द्वारा संपादित राजस्थान का लघुकथा संसार(1998),
राजस्थान की महिला लघुकथाकार(2004),
भगीरथ द्वारा संपादित राजस्थान की चर्चित लघुकथाएँ(2004) और डॉ.रामकुमार घोटड़
दवारा संपादित राजस्थान के लघुकथाकार(2010) तथा मधुमती का अक्तूबर 2013 अंक इस क्षेत्र में विशेष रूप से उल्लेखनीय है |
राजस्थान
के लघुकथाकार पुस्तक में डॉ.घोटड़
ने लगभग 300 लघुकथाकारों का नामोल्लेख किया है तथा 60 लघुकथाकारों की 180 लघुकथाएँ
प्रकाशित की हैं जिसमें राजस्थान के प्रत्येक जिले से लघुकथाकारों को प्रतिनिधित्व
दिया गया है |
इसी पुस्तक में डॉ.घोटड़
का एक लंबा आलेख ‘राजस्थान
का लघुकथा संसार’
पठनीय है जिसमें राजस्थान के लघुकथा परिदृश्य का विस्तृत लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया
है | भगीरथ ने ‘राजस्थान
की चर्चित लघुकथाओ’
में न केवल उस समय(2004) के 19 उल्लेखनीय रचनाकारों की लघुकथाएँ दी हैं वरन
प्रत्येक लघुकथाकार पर आलोचनात्मक आलेख दिए हैं जिनसे पुस्तक का महत्व बढ़ गया है |
डॉ.अनिल
शूर आज़ाद (दिल्ली) ने भी राजस्थान के ग्यारह महत्वपूर्ण लघुकथाकारों को लेकर ‘राजस्थान
की लघुकथाएँ’
(2014) पुस्तक संपादित की है जिसमें प्रत्येक लेखक की ग्यारह-ग्यारह लघुकथाएँ ली
गई हैं |
मधुदीप ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना पड़ाव और पड़ताल के कई खंडों में राजस्थान के
लघुकथाकारों और समालोचकों को सम्मिलित किया है |
दो खंडों का सम्पादन तो राजस्थान के लेखकों को ही दिया गया है |
खंड 8 के संपादक हैं प्रबोधकुमार गोविल तथा खंड 12 के संपादक हैं डॉ.रामकुमार डॉ.घोटड़
| खंड 8 (2015) तो एक
प्रकार से राजस्थान के लघुकथाकारों को ही समर्पित है |
यहाँ सभी 66 लघुकथाएँ राजस्थान के लघुकथाकारों की हैं |
ये लघुकथाकार हैं- गोविंद शर्मा,
पारस दासोत,
महेंद्रसिंह महलान,
मुरलीधर वैष्णव,
रत्नकुमार सांभरिया और रामकुमार घोटड़ |
आलेख रमेश खत्री(जयपुर) एवं इन सभी लघुकथाओं पर समालोचना जयपुर के ही हरदान हर्ष
की है | यही
नहीं धरोहर स्तम्भ में विजयदान देथा और यादवेन्द्र शर्मा ‘चंद्र’
की लघुकथाएँ दी गई हैं |
पुष्पलता कश्यप ऐसी लेखिका हैं जिन्होंने
राजस्थान में लघुकथा को घर-घर पहुँचाया |
आठवें दशक में राजस्थान पत्रिका के सहयोगी प्रकाशन साप्ताहिक इतवारी पत्रिका के कई
अंकों में उनकी एक साथ ग्यारह-ग्यारह
लघुकथाएँ प्रकाशित हुई जिससे यहाँ के पाठकों में लघुकथा के प्रति गहन रुझान
उत्पन्न हुआ | इससे
कई नए लेखकों को भी लिखने की प्रेरणा प्राप्त हुई |
उस समय इतवारी पत्रिका के संपादक श्रीगोपाल पुरोहित थे |
उक्त स्थापित लघुकथाकारों के अलावा आज कई ऐसे
लघुकथाकार हैं जो या तो राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं अथवा जिनकी लघुकथाएँ
पर्याप्त ध्यान आकर्षित कर रही हैं |
ये हैं सत्य शुचि, गोविंद
शर्मा,
गोविंद भारद्वाज, मुकुट
सक्सेना, गोविंद
गौड़, कृष्णकुमार आशु,
अखिलेश पालरिया,
आभा सिंह,
रेणुका माथुर ‘चंद्रा’,
नीलिमा टिक्कू,
ऋतु सरस्वत,
करुणा श्री, उमेश
कुमार चौरसिया, मोहन
राजेश, सरला
अग्रवाल, भरतचंद्र
शर्मा, जनकराज
पारीक, सत्यनारायण
सत्य,
नदीम अहमद नदीम,
प्रमोद कुमार चमोली,
दिनेश विजयवर्गीय,
मधुसूदन पाण्ड्या, चंद्रेश
कुमार छतलानी,
प्रकाश तातेड़,
दिलीप भाटिया,
भारत दोसी,
पीयूष पाण्डिया,
श्याम सुंदर सुमन,
भगवती प्रसाद गौतम,
घनश्याम कच्छावा,
सांवला राम नामा,
अंजीव अंजुम,
जितेंद्र शंकर बजाड़,
दिनेश कुमार छाजेड़,
सीमा भट्ट,
हनुमान ‘तमनाशक’,
दीनदयाल
शर्मा,
हरदान हर्ष,
अनिल चौरसिया,
अपर्णा चतुर्वेदी ‘प्रीता’,
सावित्री चौधरी,
पद्मजा शर्मा,
मीठालाल खत्री,
ओमप्रकाश भाटिया,
मदन अरोड़ा,
उषा माहेश्वरी,
डॉ.नरेंद्र सिंह, नीरज
दइया, संजय
पुरोहित, सुदर्शन
राघव, शिवचरण
सेन ‘शिवा’,
राधेश्याम मेहर,
विजय जोशी,
नीना छिब्बर,
सत्यदेव संवितेंद्र,
नमोनाथ अवस्थी,
कृष्णा भटनागर,
उमेश अपराधी,
रंजना गौड़ ‘भारती’,
लीला मोदी,
आशा मेहता,
अनिता वर्मा,
डॉ.आनंद प्रकाश त्रिपाठी,
अनंत भटनागर,
माणक तुलसीराम गौड़,
उर्मिला माणक गौड़,
बजरंग लाल जेठू,
शिवनारायण शर्मा,
त्रिलोक सिंह ठकुरेला,
साधना ठकुरेला,
परितोष पालीवाल,
नीलप्रभा भारद्वाज, विभा
रश्मि,
लक्ष्मी रूपल, वीरबाला
भावसार, पुष्पा
रघु, मोहन सोनी,
अनीता वर्मा,
अब्दुल समद राही आदि |
कई साहित्यकार ऐसे हैं जिन्होंने मुख्यतः किसी
अन्य विधा में कलम चलाते हुए यदा-कदा लघुकथाएँ भी लिखी हैं जो काफी चर्चित हुई हैं
| इनमें से प्रमुख
हैं योगेन्द्र दवे,
मालचंद तिवाड़ी,
बुलाकी शर्मा,
हरदर्शन सहगल,
हसन जमाल,
डॉ.सत्यनारायण,
मनोहर सिंह राठौड़ |
इनके अलावा स्मृति शेष यादवेन्द्र शर्मा ‘चंद्र’,
विजयदान देथा,
जनकराज पारीक एवं रघुनंदन त्रिवेदी ने भी कुछ उल्लेखनीय लघुकथाएँ लघुकथा जगत को दी
हैं |
रघुनंदन की लघुकथाएँ तो आज भी शिल्प की ताज़गी के चलते अलग ही पहचानी जाती हैं |
राजस्थान के प्रथम लघुकथाकार होने का गौरव
अजमेर के साहित्यकार बद्रीप्रसाद पंचौली को जाता है |
उनकी लघुकथा ‘सागर
चुप हो गया’
1963 में गंगानगर से निकलने वाले दैनिक ‘सीमा
संदेश’
में प्रकाशित हुई थी |
यदि राजस्थान के प्रथम प्रकाशित एकल लघुकथा संग्रह की बात करें तो वह है सुगनचंद
मुक्तेश का ‘स्वाति
बूंद’ |
यह संग्रह 1966 में प्रकाशित हुआ |
मुक्तेश जी ने 1964 से लघुकथाएँ लिखना आरंभ किया |
उनकी प्रथम लघुकथा ‘सृष्टिक्रम’थी
|
महिला लघुकथाकारों में प्रथम प्रकाशित लघुकथा
संग्रह जोधपुर की कृष्णा भटनागर का ‘अनमोल
सीपियाँ’
है | कृष्णा जी का यह
संग्रह 1982 में प्रकाशित हुआ था |
लघुकथा की गुफा से वितान तक की इस यात्रा में
राजस्थान के कई लघुकथाकार साथी हमसे सदैव के लिए बिछुड़ गए |
इनमें
प्रमुख हैं यादवेन्द्र शर्मा ‘चंद्र,
बीकानेर (मुख्यतः उपन्यासकार),
सुगनचंद मुक्तेश (हनुमान
गढ़), दुर्गादत्त सैनी ‘दुर्गेश’,
चूरू (जो दुर्गेश के नाम से लिखा करते थे),
मोहन योगी (फैफाना,
हनुमानगढ़),
गौरीशंकर आर्य (चौमेला,
झालावाड़),
रघुनंदन त्रिवेदी (मुख्यतः कहानीकार), जनकराज
पारीक (कोटा), मन्नालाल
परदेशी (प्रतापगढ़),
प्रह्लाद नवीन (प्रतापगढ़),
मंजुला शर्मा (सादुलपुर),
पारस दासोत (जयपुर)
|
अब बात करते हैं राजस्थान से प्रकाशित लघुकथा
विषयक पुस्तकों की |
यह सूची बहुत लंबी है |
इस सूची को हम निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत कर सकते हैं-
1 एकल
लघुकथा संग्रह- सुगनचंद मुक्तेश-स्वाति बूंद (1966)
दुर्गेश-कालपात्र
(1979), कृष्णा
भटनागर-अनमोल सीपियाँ (1982),
मणियाँ (1996), सुरंगिनी (2002),
कसकती बीथियाँ (2005),
ओमानन्द सारस्वत- आज का अश्वत्थामा (1984),
पुष्पलता कश्यप-अहसासों के बीच (1984),
इक्कीसवीं सदी की लघुकथाएँ (2000), आम
आदमी से संबन्धित लघुकथाएँ (2010), प्रबोधकुमार गोविल-मेरी सौ लघुकथाएँ (1985),
योगेन्द्र दवे-विषमता (1985),
पारस दासोत-एक और अभिमन्यु(1986),
प्रयोग(1988),
परसु (1989),
क़दम बढ़ाती चूड़ियाँ(1990),
समक्ष(1991),
पुस्तक की आवाज़(1991),
ईश्वर(1953), तेरी
मेरे उसकी बात(1996),
सीटी वाला रबर का गुड्डा(1998),
सीधी है भोली कला(2009),
मेरी मानवेतर लघुकथाएँ(2010),
मेरी मनोवैज्ञानिक लघुकथाएँ(2012),
यथास्थितिवाद के खिलाफ मेरी लघुकथाएँ(2012),
मेरी किन्नर केन्द्रित लघुकथाएँ (2013),
मेरी आलंकारिक लघुकथाएँ(2014),
नारी-मन-विज्ञान:मेरी लघुकथाएँ(2014),
मेरी प्रतीकात्मक लघुकथाएँ(2014),
घायल इंकलाब(2014) |
डॉ.रामकुमार घोटड़-तिनके-तिनके (1989),
प्रेरणा (1993),
क्रमशः (2000),
रू-ब-रू (2006),
आधी दुनिया की लघुकथाएँ (2009),
मेरी श्रेष्ठ लघुकथाएँ (2009),
संसारनामा (2012),
रजत कण (2014),
दर्पण के उस पार (2015),
सामाजिक सरोकार की लघुकथाएँ (2017),
प्रजातन्त्र के सारथी (2018), मेरी
चुनिन्दा लघुकथाएँ (2019),
बुजुर्ग जीवन की लघुकथाएँ (2019),
बीसवीं सदी की मेरी लघुकथाएँ (2019) |
परमेश्वर गोयल-यथार्थ का एहसास (1991),
समय का सच (1993),
कर्मेन्द्र मणि-भारतीय जीवन का यथार्थ (1993),
भगीरथ-पेट सबके हैं (1996),
बैसाखियों के पैर (2017),
महेंद्रसिंह महलान-सिलसिला (1993),
गोविंद गौड़-प्रहार (1996),
रत्नकुमार सांभरिया-बांग और अन्य लघुकथाएँ (1996),
प्रतिनिधि
लघुकथा शतक (2010),
माधव नागदा-आग (1998),
अपना अपना आकाश (2014),
आशा मेहता-सच्चा सुख (2001),
सरला अग्रवाल-दिन दहाड़े (2004),
सीपी में सागर (2009),
दिलीप भाटिया-कड़वे सच (2004),
माणक तुलसीराम गौड़-कर्तव्य बोध (2004),
माँ की तस्वीर (2008),
दायित्व बोध (2017),
करूणा श्री-अन्तर्मन की कथाएँ (2005),
आस्था के फूल (2010),
नदीम अहमद नदीम-समय चक्र (2007),
परिंदे (2013), मुस्कान (2018),
नरेंद्र
सिंह-हौं कहता आँखन देखी (2007),
मुकुट सक्सेना-प्रतिप्रहार (2007),
वीरबाला भावसार-कथन (2007),
उषा माहेश्वरी-रावण ज़िंदा है (2007),
मुरलीधर वैष्णव-अक्षय तुणीर (2009),
कितना कारावास (2017),
लक्ष्मी रूपल-कतरा-कतरा सच (2009),
आप ठीक कहते हैं (2013),
घरौंदे (2018),
देव शर्मा-थाली कैसे बजेगी (2009),
प्रकाश तातेड़-दर्पण एक बिम्ब अनेक (2010),
राम निवास बायला-हिमायती (2011),
संजय जनागल-नई रोशनी (2012),
अनिता वर्मा-संजय झूठ ना बोले (2012),
आशा पथिक-संवेदना के पथ (2012),
अनूप घई-अंतर के भ्रम (2012), गोविंद
शर्मा-रामदीन का चिराग (2014), श्रीमती
कमलेश माथुर-लघुकथाएँ एवं अन्य कहानियाँ (2012),
रचना गौड़ ‘भारती’-दिल
ने कुछ कहा (2012),
अनिल मुद्गल-कांच के टुकड़े (2012), मन की लघुकथाएँ (2014),
हरदान हर्ष-अपने ही खुदा का बंदा (2014),
दिलीप भाटिया-भीगी पलकें (2015),
महेंद्र नेह-उन्हें नहीं मालूम (2015),
आभा सिंह-माटी कहे (2015),
रेणु चन्द्रा-छोटी सी आशा (2015), इ.आशा
शर्मा-उजले दिन:मटमैली रातें (2016),
भैरो सिंह राव क्रान्ति-कुँवारा आँगन (2016),
अखिलेश पालारिया-पीर पराई (2017), गोविंद
भारद्वाज-रिश्तों की भीड़ (2017), संजय
पुरोहित-अंतर्दृष्टि (2018),
रचना गौड़ ‘भारती’-दहलीज (2018),
चंद्रेश
कुमार छतलानी-बदलते हुए (2019), कृष्ण
कुमार आशु-तृष्णा एवं अन्य लघुकथाएँ (2019),
सावित्री
चौधरी-परख (2020),
विभा रश्मि-साँस लेते लम्हे (2020) |
शेष आगामी अंक में… 'लघुकथा कलश' आलेख महाविशेषांक-1 (सं॰ योगराज प्रभाकर से साभार)
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