राही रैंकिंग-2021 यानी 'हिन्दी के वर्तमान 100 बड़े लेखकों की सूची' जारी हुई है।
जैसाकि नाम से स्पष्ट है, इस सूची में वर्तमान लेखकों के नाम ही शामिल किए जाते हैं, दिवंगतों के नहीं।
( नोट: संस्थान हिंदी के हर रचनाकार को सम्मानित मानते हुए सभी के सृजन को महत्वपूर्ण मानता है। उक्त सूची सर्वेक्षण आधारित है।)
इसे गत अनेक वर्षों से एक सर्वेक्षण समिति के तहत जारी किया जाता है। यह स्पष्टीकरण वरिष्ठ कथाकार और इसके संयोजक प्रबोध कुमार गोविल देते रहे हैं।
मुझे कई बार लगता है कि यह सूची मैन्युअल तैयार नहीं की जाती। यह कम्प्यूटरीकृत है। इसका मुख्य आधार फेसबुक पर सक्रियता है। बेशक, फाइनली जारी करने से पूर्व इसमें मैन्युअल हस्तक्षेप भी अवश्य किया जाता होगा। कम्प्यूटरीकृत होने का अनुमान गलत भी हो सकता है।
बहरहाल, हर वर्ष अनेक प्रकार की विरोधपरक असहमतियों के बावजूद 'राही रैंकिंग' बेहिचक अपने कार्य को अपने ढंग से जारी रखे हुए हैं। बेशक, हर वर्ष कुछ महत्वपूर्ण नाम छूट गए-से मिलते हैं और महसूस होता है कि सूची को 111, 121,131,151 नामों तक बढ़ा दिया जाए; लेकिन कुछ नाम तो तब भी छूटे रहेंगे ही। इसलिए इसे 100 की सीमा में बरकरार रखना ही श्रेयस्कर है।
गत वर्षों में 'राही रैंकिंग' ने सूची में दर्ज साहित्यकारों की लघुकथाओं, कविताओं आदि के संकलन भी प्रकाशित किए हैं, जो एक विशेष पहल है।
हाँ, इतना अवश्य किया जा सकता है कि किसी (उदाहरणार्थ, अमुक सरीखे) कद्दावर साहित्यकार का नाम जोड़ने के लिए, किसी एक के नाम को हटाने पर विचार किया जाए। लेकिन, दर्ज नाम को हटाने में सैद्धांतिक अड़चन भी आती ही होगी।
इन सब बातों पर विचार प्रबोध गोविल जी अपने एक साक्षात्कार में प्रस्तुत कर चुके हैं। जैसा भी है, 'राही रैंकिंग' को उसकी मति और गति के अनुरूप चलता रहने देना चाहिए।
प्रबोध कुमार गोविल : संयोजक
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