Friday, 23 December 2016

2016 : लघुकथा का समृद्ध परिवेश / कान्ता रॉय



दोस्तो, 2016 अपने अन्तिम सप्ताह में प्रविष्ट होने को है। कल इस साल का अन्तिम रविवार होगा। इस बीच 'साहित्य अमृत' का लघुकथा विशेषांक छपकर मेरे हाथों में आ गया है। हर्ष का विषय है कि सन् 2017 की शुरुआत 'लघुकथा विशेषांक' से हो रही है। इस अंक में लगभग 45 नये लघुकथाकारों ने जगह बनाई है। नि:सन्देह, इनमें से अनेक ऐसे भी हो सकते हैं, जिनकी पहली ही लघुकथा इतने बड़े मंच पर आई हो। उन्हें इस मंच पर लाने के लिए मैंने कुछ असम्मानजनक समझौते भी किए। बहरहाल, 'लघुकथा' के हित में कड़ुआहट भुलाइए और कुछ नए कदमों का स्वागत कीजिए।
लघुकथा विशेषांक : जनवरी 2017
इस लघुकथा विशेषांक में प्राचीन ग्रंथों से 5 लघुकथाएँ पहली बार उद्धृत हुई हैं। इनके साथ-साथ कुछ हिन्दीतर भाषाओं की लघुकथाएँ तथा कुछ विश्व साहित्य की भी लघुकथाएँ हैं। प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, विष्णु प्रभाकर और हरिशंकर परसाई के साथ पहला मौका है जब रामधारीसिंह दिनकर की भी एक लघुकथा किसी विशेषांक में आई है। स्मृतिशेष कथाकारों में श्रीयुत पृथ्वीराज अरोड़ा, सुरेश शर्मा, रमेश बतरा, विक्रम सोनी, युगल, जगदीश कश्यप, पारस दासोत, सुरेन्द्र मंथन, एन उन्नी, कालीचरण प्रेमी और रघुनंदन त्रिवेदी को याद रखा है। हिन्दी के मूर्द्धन्य साहित्यकार रामदरश मिश्र ने इस विशेषांक के लिए अपनी लघुकथाएँ देकर इस विधा को अपना आशीर्वाद दिया है। 'साहित्य अमृत' के इस लघुकथा विशेषांक में कुल मिलाकर 170 से ऊपर लघुकथाएँ हैं; साथ में लघुकथा के विभिन्न बिंदुओं पर विचार करते 8 आलोचनापरक लेख ।
उक्त अंक से सबसे पहले प्रस्तुत है कान्ता राय का आलेख--'2016 : लघुकथा का समृद्ध परिवेश'।  

कान्ता राय


हिन्दी लघुकथा के सन्दर्भ में वर्ष 2016 कुछेक बड़ी हलचलों और उपलब्धियों से भरा रहा। लेखन में तकनीक व  शिल्प-शैली को लेकर जितनी इस साल  चर्चायें हुईं उतनी शायद ही कभी हुई हों। 

नुक्कड़ लघुकथा गोष्ठी : विश्व पुस्तक मेला
वर्ष के पहले माह से ही लघुकथा को लेकर एक अच्छी शुरुआत हुई। 14 जनवरी 2016 को ‘नुक्कड़ लघुकथा पाठ’ का आयोजन शोभा रस्तोगी की एक सार्थक परिकल्पना थी जिसको विश्व पुस्तक मेले में साकार किया गया। अनेक वरिष्ठ व नये लघुकथाकारों की उपस्थिति और रचना-पाठ भी सराहनीय था। मौसम खराब होने के कारण यह आयोजन पार्क के अंदर खुले में न होकर हॉल नंबर 12 ए में ‘दिशा प्रकाशन’ के स्टाल पर संपन्न हुआ। सुश्री छवि निगम, नीलिमा शर्मा, डॉ नीरज शर्मा, शोभा रस्तोगी, कांता राय, नीता सैनी, हरनाम शर्मा, अशोक वर्मा, डॉ सतीशराज पुष्करणामधुदीप, सुभाष नीरव और सूरज प्रकाश ने लघुकथा पाठ में हिस्सा लिया और अपनी दो-दो लघुकथाएं सुनाईं। कथाकार सूरज प्रकाश ने बिना पढ़े अपनी दो दमदार लघुकथाएं सुनाईं। अच्छी बात यह रही कि लघुकथा क्षेत्र में बिलकुल नये लेखकों ने अपनी बेहद सशक्त और कसी हुई लघुकथाओं का पाठ किया जिन्हें सभी ने सराहा। मधुदीप और अवधेश श्रीवास्तव ने कुछ लघुकथाओं पर अलग से अपनी-अपनी राय भी प्रकट की। करीब डेढ़ घंटे चली इस लघुकथा गोष्ठी का संचालन सुभाष नीरव ने किया। ‘नुक्कड़ लघुकथा’ गोष्ठी के समापन के बाद इस बात पर भी विचार किया गया कि आगामी विश्व पुस्तक मेले में बड़े स्तर पर लघुकथा को लेकर आयोजन रखा जाए, जिस पर सभी उपस्थित लेखकों ने अपनी सहमति प्रकट की।
अंतर्जाल  के द्वारा देश के विभिन्न भागों से लेकर सुदूर विदेशों में बैठे लघुकथाकारों ने एक-दूसरे से जुड़कर विधा में सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। यही कारण है कि इस साल लगभग तेरह लघुकथा-संग्रह प्रकाशित हुए जो इस प्रकार हैं— अंदाज़ नया: अशोक गुजराती, जीवन काप्रवाह : कल्पना विजयवर्गीय, आँगन-आँगन हरसिंगार: कमल कपूर, पथ का चुनाव : कान्ता रॉय, अनसुलझा प्रश्न : किशनलाल शर्मा, एक पेग ज़िन्दगी : पूनम डोगरा, रिंगटोन : ब्रजेश कानूनगो, सम्यक लघुकथाएँ : मीरा जैन, एक सेल्फी रिश्तों की : रश्मि प्रणय वागले, किसी और देश में : विनय कुमार, इत्रफ़रोश : रोहित शर्मा, उद्गारों का कलश : कमल नारायण मेहरोत्रा, ततः किम : संध्या तिवारी, बालमन की लघुकथाएँ : डॉ. श्याम सुन्दर दीप्ति, मूंछोवाली : डा. मधुकांत। इन संग्रहों में आठ नये लघुकथाकारों की पुस्तकें हैं जो विधा संदर्भ में एक मिशाल है। गौर करने वाली बात यह भी है कि ये सभी नये लेखक समर्पित लघुकथाकार हैं। कथा लेखन के क्षेत्र में 'समर्पित लघुकथाकार' ढूँढना समुद्र में मोती ढूँढने जैसा ही है क्योंकि जाने-अनजाने ही सही, कथा-आलोचकों द्वारा अनदेखी लघुकथाकारों का मनोबल तोड़ती है। वे समझने लगते हैं कि कहानी व अन्य विधा  विशिष्ट दर्जा दिलवाने में अधिक कारगर साबित होगी, इसलिये उनका लघुकथा-विधा से अन्य विधाओं की ओर पलायन हो जाता है। भोपाल में साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक व निराला सृजन पीठ के वर्तमान निदेशक देवेंद्र दीपक जी ने लघुकथा रचनापाठ 'तिलक' के आयोजन पर विधा  की महत्ता बताते हुए लघुकथा की गम्भीरता पर एक विस्तृत उद्बोधन देते हुए कहा कि विधा चाहे कोई भी हो, वह अपने आप में विशिष्ट होती है। लघुकथा विधा के लिए उपेक्षाभरे इस काल में वरिष्ठ आलोचक डॉ॰ कमल किशोर गोयनका की आलोचना पुस्तक ‘लघुकथा का समय’ का आना लघुकथाकारों के मनोबल को बढ़ाने वाला सिद्ध होगा।

'लघुकथा साहित्य' की देयता
अंतर्जाल के द्वारा साहित्यिक अनुष्ठान को सार्थकता का जामा पहनाया—जून 2013 में स्थापित फेसबुक समूह ‘लघुकथा साहित्य’ ने जिसके वर्तमान एडमिन वरिष्ठ लघुकथाकार बलराम अग्रवाल  और श्याम सुंदर अग्रवाल हैं। यहाँ वक्त-वक्त पर लघुकथा पर संज्ञान व उचित मार्गदर्शन का प्रयास होता है। 2016 में भी नव-लेखकों के लिये यहाँ से विविध पहलुओं पर लघुकथा विधा-सम्मत काम हुआ है। देश-विदेश में घटित लघुकथा पर विधा सम्मत हलचल की समस्त जानकारी लेखकों के लिये उपलब्ध करवाई गयी। नवीन संग्रहों व संकलनों  का प्रकाशन, विविध पहलुओं पर आलोचना सम्बन्धी जानकारियाँ यहाँ प्रदान की जाती हैं। अंतर्जाल पर 'लघुकथा साहित्य' विधा संदर्भ में मुझे यह हमारा हेड ऑफिस प्रतीत होता है।

साहित्य अकादमी : 15 मार्च 2016 : किला फतह
कथाकार सुभाष नीरव द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित ‘लघुकथा पाठ’ के सन्दर्भ में है तो दूसरी रिपोर्ट हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा आयोजित ‘साहित्योत्सव’ में सम्पन्न ‘लघुकथा पाठ’ के सन्दर्भ में। पहली रिपोर्ट के अनुसार—‘लघुकथा साहित्य के लिए इस साल की सबसे बड़ी उपलब्धि साहित्य अकादमी द्वारा ‘लघुकथा’ को अपने आयोजन में शामिल करना रहा। 15 मार्च 2016 को साहित्य अकादेमी के सभागार में साहित्य अकादेमी केराजभाषा मंचके अन्तर्गत देवेन्द्र कुमार देवेश के संचालन में एक सफल और सार्थक संगोष्ठी संपन्न हुई! इस संगोष्ठी में हिंदी के वरिष्ठ चार सशक्त लघुकथा लेखकों  सर्वश्री बलराम अग्रवाल(दिल्ली), सुकेश साहनी (बरेली- उत्तर प्रदेश), अशोक भाटिया(करनाल, हरियाणा) और मधुदीप (दिल्ली) ने खचाखच भरे सभागार में अपनी-अपनी लघुकथाओं का पाठ किया। चारों लेखकों द्वारा पढ़ी गई लघुकथाओं द्वारा अपना-अपना श्रेष्ठ देने का प्रयास किया और वे सफल  भी रहे। विषयों की विभिन्नता लिए अपने समय और समाज की धड़कनों को संजोये लघुकथाओं को श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ खूब सराहा और एक बात साफ़ हुई कि लघुकथा केवल पठनीय विधा नहीं है, वह कहानी की भांति सुनने की भी विधा है। पढ़ी गई लघुकथाओं पर राम कुमार आत्रे, रामेश्वर काम्बोज हिमांशु, सुभाष नीरव, राजकुमार गौतम, डॉ शेरजंग गर्ग अपने अपने विचार रखे। इस आयोजन का हिस्सा दिल्ली के अलावा, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आये लघुकथा प्रेमी भी बने। हरियाणा से राम कुमार आत्रे, रामेश्वर काम्बोज हिमांशु, राधेश्याम, बिजनौर (उत्तर प्रदेश) से डॉ नीरज सुधांशु तथा उनके पति डॉ सुधांशु, गुड़गांव से विभा रश्मि, दिल्ली से वरिष्ठ साहित्यकार शेरजंग गर्ग, कथादेश के संपादक हरिनारायण, बलराम, डॉ रूपसिंह चन्देल, अवधेश मिश्र, राजकुमार गौतम, अशोक वर्मा, नीलिमा शर्मा, शोभा रस्तोगी, डॉ विवेकानन्द, भूपाल सूद श्रीमती सूद आदि अनेक लघुकथा प्रेमियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करके इस आयोजन को सफल मनाया। इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसका साहित्य अकादेमी की वेब साइट पर लाइव प्रसारण भी हुआ। नि:संदेह साहित्य अकादेमी के इस आयोजन को लघुकथा की विकास यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव मानते हुए हमेशा याद रखा जाएगा।

हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा भी लघुकथा पर पहला आयोजन
दूसरी रिपोर्ट के अनुसार—‘हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा 26-28 मार्च, 2016 तक आयोजित किए गये ‘शहीद भगत सिंह साहित्य महोत्सव’ में 27 मार्च, 2016 को एक सत्र हिन्दी लघुकथा पाठ के लिए भी रखा गया। इसमें लघुकथाकार बलराम अग्रवाल, मधुदीप, सुभाष नीरव, रामेश्वर काम्बोज हिमांशु, बलराम, शोभा रस्तोगी, हीरालाल नागर, पूरन सिंह और अशोक भाटिया ने श्रोताओं से खचाखच भरे विशाल सभागार में मंच से अपनी-अपनी लघुकथाओं का पाठ किया। इसका सफल संचालन अशोक भाटिया ने किया। लघुकथा को लेकर हिन्दी अकादमी, दिल्ली का यह पहला आयोजन था।’

पड़ाव और पड़ताल
दिशा प्रकाशन के बैनर तले सन् 2014 के विश्व पुस्तक मेले से लघुकथा संकलन ‘पड़ाव और पड़ताल’ के प्रकाशन की एक महत्वपूर्ण योजना का शुभारम्भ हुआ था। दिसम्बर 2015 तक इस योजना के 15 खण्ड प्रकाशित हो चुके थे। जनवरी 2016 में सम्पन्न विश्व पुस्तक मेले में यह शृंखला नये रूप में अवतरित हुई। शृंखला का 16वाँ और 17वाँ खण्ड इस पुस्तक में मेले में एकल लघुकथाकार की 66 लघुकथाओं और उनकी पड़ताल पर केन्द्रित था। 16वाँ खण्ड भगीरथ की 66 लघुकथाओं पर केन्द्रित था और 17वाँ खण्ड बलराम अग्रवाल की 66 लघुकथाओं पर केन्द्रित था। इनके अतिरिक्त इस शृंखला के अब तक 23 खण्ड प्रकाशित हो चुके हैं। शृंखला में प्रकाशित अन्य लघुकथाकारों के नाम इस प्रकार हैं—अशोक भाटिया, सतीशराज पुष्करणा, कमल चोपड़ा, मधुदीप, सतीश दुबेमधुकांतकी 66 लघुकथाएँ और उनकी पड़ताल को चिह्नित किया गया है। यह एक शोधग्रंथ-सा अवर्णनीय कार्य हुआ है। यहाँ वरिष्ठ लघुकथाकार मधुदीप का समर्पण प्रणम्य है।


लघुकथा अनवरत
देश की पहली लघुकथा-केन्द्रित वेब पत्रिका ‘लघुकथा डॉट कॉम’ के सहित 'लघुकथा अनवरत' रामेश्वर कम्बोज 'हिमांशु' और सुकेश साहनी के सम्पादन में कई नये हस्ताक्षरों ने अच्छे लघुकथाकार होने का गौरव पाया है। हिन्दी लघुकथा में आप दोनों 'सम्पादक द्वय' व भूपी सूद जी को इस अहम भूमिका के लिये याद किया जायेगा। प्रगति मैदान में लगने वाले विश्व पुस्तक मेला 2016 में अयन प्रकाशन द्वारा 'लघुकथा अनवरत ; फेसबुक मित्रों की लघुकथाएँ’  का विमोचन हुआ है। आभासी दुनिया में चल रहे लघुकथा-लेखन को चिह्नित करने के मद्देनजर यह संकलन एक अद्वितीय पहल है।

बूँद बूँद सागर
इस बार 'बूँद बूँद सागर' लघुकथा संकलन, जिसका सम्पादन डॉ. नीरज सुधांशु व जितेन्द्र जीतू ने किया है। यह पुस्तक भी चर्चा का विषय बना है। इस पुस्तक में अधिकतर लघुकथाकार पहली बार प्रकाशित हुए थे। नव-लेखकों के प्रोत्साहन के संदर्भ में यह  अनुपम पहल थी। 2016 में ही अशोक भाटिया द्वारा सम्पादित लघुकथा संकलन  'हरियाणा से लघुकथाएँ' में 61 लघुकथाकारों ने अपनी सशक्त उपस्थिती  दर्ज (की)।
समसामयिक हिंदी लघुकथाएँ: त्रिलोक सिंह ठकुरेला (सं.) के इस संकलन में 11 सशक्त लघुकथाकार और उनकी 11- 11 लघुकथाओं को शामिल किया गया है। आँखों देखी लघुकथा : विकास मिश्र (सं.) गाजियाबाद से प्रकाशित संकलन है जिसमें सिर्फ 8 लघुकथाकारों की 88 लघुकथाओं को शामिल किया गया है।  आदिम पुराकथाएँ (पुराकथा संकलन) वसन्त निरगुणे (सं.) और चलें नीड़ की ओर : कान्ता राय (सं.) का प्रकाशन भी उल्लेखनीय है।

दृष्टि : लघुकथा की नई अर्द्धवार्षिक पत्रिका
वरिष्ठ लघुकथाकार कमल चोपड़ा सन् 2008 से लघुकथा की एक वार्षिक पत्रिका ‘संरचना’ का सम्पादन व प्रकाशन कर रहे हैं। वर्ष 2016 में संरचना का आठवाँ अंक प्रकाश में आया। इस वर्ष कथाकार अशोक जैन ने लघुकथा विधा को समर्पित अर्द्धवार्षिक पत्रिका 'दृष्टि' का सम्पादन व प्रकाशन गुड़गाँव से किया है। पत्रिका की शुरुआत ‘पारिवारिक लघुकथा विशेषांक’ से हुई है। इसके पहले अंक में नये-पुराने करीब 58 लघुकथाकार अपनी स्तरीय लघुकथाओं के साथ उपस्थित हैं। सतीशराज पुष्करणा और सुकेश साहनी जी के आलेख पत्रिका के इस अंक की सार्थकता को कायम करने में सफल रहे हैं। इसी वर्ष कथाकार विकेश निझावन के सम्पादन में 'पुष्पगंधा' त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ने भी 'लघुकथा विशेषांक' का प्रकाशन किया, जो उल्लेखनीय है। यह पत्रिका मेरे हाथ नहीं आ पायी है अब तक, लेकिन आदरणीय मार्टिन जॉन जी के अनुसार—‘विकेश निझावन ने 'पुष्पगंधा' के अद्यतन अंक को गम्भीरतापूर्वक लघुकथा के नाम सपर्पित करने का श्रमसाध्य कार्य किया है।  प्रस्तुत अंक में किसी न किसी रूप में लघुकथा लेखन से जुड़ी तीन पीढ़ियों को समेटने का स्तुत्य प्रयास किया गया है। एक और जहाँ हरिशंकर परसाई (प्रख्यात व्यंग्याकार) विष्णु प्रभाकर, चित्रा मुदगल, हिमांशु जोशी, सुधा ओम ढींगरा, संतोष श्रीवास्तव की लघुकथाओं ने इस अंक को गरिमामय स्वरूप प्रदान किया है  वहीं वरिष्ठ लघुकथाकारों—कमल चोपड़ा, मधुदीप, रूप देवगुण, जयश्री रॉय, उर्मि कृष्ण, शमीम शर्मा, राजकुमार गौतम, मुकेश शर्मा, अशोक भाटिया, अशोक जैन,रामकुमार आत्रेय, पूरन सिंह, केदारनाथ सविता, रामनिवास मानव, सिद्धेश्वर, फजल इमाम मल्लिक, सैली बलजीत, मृत्युंजय तिवारी, महावीर रवांल्टा, मार्टिन जॉन, डा.मुक्ता,शराफत अली खान  की उत्कृष्ट लघुकथाओं ने भी अंक को समृद्ध किया है। समकालीन लघुकथा परिदृश्य में अपनी रचनात्मक ऊर्जा के साथ उपस्थिति दर्ज़ कराने वाले लघुकथाकार अरविन्द कुमार खेड़े, रणजीत टाडा, अरविन्द मुकुल, अशोक दर्द की प्रतिनिधि लघुकथाएँ भी प्रस्तुत अंक को उम्दा बनाती हैं ।
   लब्ध प्रतिष्ठित व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई और 'सारिका' के संपादक अवध नारायण मुदगल से लघुकथाकार मुकेश शर्मा की लघुकथा विषयक दुर्लभ बातचीतअग्रिम पंक्ति के लघुकथाकार कमल चोपड़ा का एकमात्र सारगर्भित आलेख निश्चित रूप से इस अंक की उपलब्धि है।

28 वाँ लघुकथा सम्मेलन, पटना
अप्रैल माह में अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच ,पटना के तत्वावधान में हुए 28वें लघुकथा सम्मेलन का आयोजन जो बिहार ललित अकादमी के सभागार में आयोजित हुआ, वह भी अपनी सार्थकता को कायम करने में कामयाब रहा। एक दिन में ही चार सत्र का रखा जाना और चर्चाओं में विविधतायें, देशभर के वरिष्ठ लघुकथाकारों का जमावड़ा, लेख, आख्यानों का दौर, आलेखों पर चर्चाओं का सत्र और लघुकथा पाठ व उस पर विस्तारपूर्ण समीक्षा विधा पर  उत्कृष्ट कार्यशाला को चिन्हित करने में सफल रही। किलकारी समूह के बच्चों द्वारा लघुकथा वाचन आयोजन को नया आयाम मिला।

हिन्दी लघुकथा के सफर में चीन
साहित्य अकादमी में लघुकथा को कथाकार बलराम अग्रवाल के लम्बे प्रयासों के परिणामस्वरूप वहाँ के विशेष कार्याधिकारी डॉ॰ देवेन्द्र कुमार देवेश ने प्रविष्टि दिलायी तथा हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा आयोजित ‘साहित्य महोत्सव’ में श्री विकास नारायण राय व डॉ॰ अशोक भाटिया के प्रयासों ने इसे पहुँचाया।
हिन्दी लघुकथा का चीन तक पहुँचना भी इस साल की उपलब्धि रही है। चीन से प्रकाशित होने वाली हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका 'इंदु संचेतना' में इसे पहुँचाया है- डॉ॰ गंगा प्रसाद शर्मा 'गुणशेखर' ने जो इस पत्रिका के संपादक हैं। पत्रिका के इस अंक के अतिथि संपादक हैं--श्री राहुल देव। डॉ॰ गुणशेखर व राहुल देव के साथ-साथ इस सत्कार्य के लिए पत्रिका के संरक्षक श्री चोंग वेई ह तथा प्रबंध संपादक श्री हू रुई। 'इंदु संचेतना' ने बलराम अग्रवाल की लघुकथाओं के प्रकाशन से इस कार्य की शुरुआत की।

आकाशवाणी भोपाल से लघुकथा का पहली बार प्रसारण
इसी साल भोपाल ने भी नये पहलुओं से  विधा की गर्माहट को महसूस किया। लघुकथाकार कान्ता रॉय की छह लघुकथाओं का पाठ 'आकाशवाणी भोपाल केन्द्र' से प्रसारण हुआ जो लघुकथा विधा पर यह पहली बार हुआ है। आकाशवाणी भोपाल की इस पहल से लघुकथा विधा संदर्भ में कई नयी चर्चा को सार्थकता मिली है।

मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग में पहली बार लघुकथा की उपस्थिति
इसी साल मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग, भारत भवन की इकाई निराला सृजन पीठ में रचनापाठ 'तिलक' के अंतर्गत पहली बार लघुकथा पाठ के लिये कान्ता रॉय को आमंत्रित किया गया जो एक सार्थक पहल था।

द्वितीय ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल और लघुकथा का सेशन
द्वितीय ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवलनोएडा 2016 में अन्य साहित्यिक कार्यशाला के साथ ही लघुकथा-विधा पर कान्ता रॉय का डेढ़ घंटे का सेशन रखा गया था जिसमें लघुकथा लेखन का उद्देश्य और उसका शिल्प विधान पर व्यापक चर्चा हुई।

ऑनलाईन पुस्तक विमोचन साहित्यिक परिवेश में सार्थक पहल
‘लघुकथा के परिंदे’ मंच पर एक अलग अनुभव, तकनीक और साहित्य का मेल लघुकथा पुस्तक का ऑनलाईन विमोचन के अवसर पर मिला। 'एक पेग ज़िंदगी' कथा संग्रह पर चर्चाओं के दौरान 24 पुस्तक समीक्षाओं की आमद हुई जो पूरे देश के अलग-अलग शहरों से वरिष्ठ लघुकथाकारों व साहित्यकारों द्वारा पोस्ट की गयी थी। इस विराट चर्चा-उत्सव को  'ऑनलाईन पुस्तक विमोचनमें सकारात्मक नजरिये से आयोजन की पहल को  संदर्भित कर गया है।

'सत्य की मशाल' और लघुकथा का स्थायी स्तम्भ
'सत्य की मशाल' पारिवारिक मासिक पत्रिका में लघुकथा को स्थायी स्तम्भ के रूप में स्थापित कर विधा  के लिये तीन पृष्ठ को सुरक्षित रखा गया। प्रिंट मीडिया में लघुकथा को  मुख्य धारा में लाने का सामाचार पत्रिका की सम्पादक कान्ता रॉय की तरफ से अपनी तरह का यह पहला कदम है। हालांकि मैं यहाँ यह भी संदर्भित करना चाहूँगी कि साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश की मासिक पत्रिका 'साक्षात्कार' अन्य विधाओं की बराबरी के साथ लघुकथा को भी  स्थायी स्तम्भ के रूप में सम्पूर्ण पन्ने के साथ जगह देती है।

ओपन बुक्स ऑनलाईन
इस साल लघुकथा विधा पर किये गये सार्थक प्रयासों में 'ओपन बुक्स ऑनलाईन' का  अलग-अलग शहरों भोपाल और लखनऊ में आयोजित 'साहित्योत्सव आयोजनों' में 'लघुकथा-सत्र' पर वृहत चर्चा उल्लेखनीय प्रयास है। ओबीओ लघुकथा चैप्टर’ कानपुर की स्थापना मुख्य रूप से लघुकथा विधा पर वहाँ के लेखकों के रुझान व एकाग्र होकर समर्पण के मद्देनजर ही हुआ है। अन्नपूर्णा वाजपेयी के संरक्षण में 'लघुकथा मासिक गोष्ठी' संचालित हुई है।
इस साल जहाँ  हिन्दी लेखिका संघ मध्यप्रदेश भोपाल में लघुकथा गोष्ठी व लघुकथा-पुस्तक विमोचन से विधा-सम्मत काम करने से भोपाल की पृष्ठभूमि मजबूत हुई है वहीं दूसरी ओर जबलपुर में भी आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ की अध्यक्षता में एक मासिक गोष्ठी का आगाज़ हुआ है जिनमें प्रभात दूबे सहित कई प्रखर लघुकथाकार शामिल हुए।

'मिन्नी कहानी मंच' द्वारा 25वाँ अन्तर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन
कथाकार सुभाष नीरव की ही एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार—‘पंजाबी की त्रैमासिक लघुकथा पत्रिका ‘मिन्नी’ (संपादक : श्याम सुंदर अग्रवाल और डॉ॰ श्याम सुंदर दीप्ति) के संयोजन में 25वां अंतर्राज्यीय लघुकथा सम्मेलन 23 अक्टूबर, 2016 को पिंगलवाड़ा, अमृतसर में सम्पन्न हुआ जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब से भारी संख्या में आए लघुकथा लेखक इक्ट्ठा हुए। सत्र सम्मान समारोह और पुस्तक विमोचन के रूप में रहा जिसमें मिन्नी त्रैमासिक का 113वां अंक, पछाण ते पड़चोल (दूसरा भाग-संपादक : दीप्ति, अग्रवाल, नूर व खेमकरनी) आथण वेला (श्याम सुन्दर अग्रवाल का तीसरा लघुकथा संग्रह), कैक्टस ते तितलियां (बलराम अग्रवाल का पंजाबी में लघुकथा संग्रह, अनुवादक: श्याम सुन्दर अग्रवाल), मेरियां प्रतिनिधि मिन्नी कहानियां (श्याम सुन्दर दीप्ति का नया लघुकथा संग्रह) ठीक किहा तुसीं (गुरसेवक सिंह रोड़की का लघुकथा संग्रह), पंजवा थम्म (संपादक: जगदीश राय कुलरियां), गल्पी विधा लघुकथा: सिद्धांत ते विचार (डॉ कुलदीप सिंह दीप), तारा मंडल (अशोक भाटिया का पंजाबी में लघुकथा संग्रह, अनुवादक: जगदीश राय कुलरियां), ‘पथ का चुनाव’ (कांता राय का लघुकथा संग्रह) पुस्तकों का विमोचन हुआ।  इस अवसर पर सीमा जैन और कुलविन्दर कौशल को ‘लघुकथा किरण’ सम्मान, श्रीमती आशा ठाकुर को ‘ललिता अग्रवाल स्मृति सम्मान-2016, डॉ अशोक भाटिया को श्री बलदेव कौशिक स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। ‘जुगुनूओं के अंग-संग’ नामक दूसरे सत्र में हिन्दी और पंजाबी के लगभग पचास से भी ऊपर लेखकों ने अपनी-अपनी लघुकथा का पाठ किया। पठित पंजाबी लघुकथाओं पर डॉ. पवन हरचंदपुरी, डॉ. अनूप सिंह और डॉ. कुलदीप ‘दीप’ तथा हिन्दी लघुकथाओं पर डॉ. अशोक भाटिया व डॉ. बलराम अग्रवाल द्वारा सारगर्भित दो टूक निष्पक्ष टिप्पणियाँ प्रस्तुत की गईं।’

सेतु का प्रकाशन
जून 2016 में अमेरिका से प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका में लघुकथा को स्थायी स्तम्भ के रूप में स्थापित किया गया है। दीपक मशाल और अनुराग शर्मा द्वारा सम्पादित 'सेतु' का प्रकाशन आरम्भ होना लघुकथा विधा में नयी आमद है।

विश्व मैत्री मंच
संतोष श्रीवास्तवकी अध्यक्षता में ‘विश्व मैत्री मंच’ ने लघुकथा विधा के संदर्भ में देश-विदेश में अपनी सार्थक चर्चाओं के दौरान कई गोष्ठियाँ आयोजित की हैं। 
भूटान में विश्व मैत्री मंच के द्वारा महिला लघुकथाकारों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें नेपाल, बिहार तथा भारत के कई प्रदेशों से महिला लघुकथाकारों ने शिरकत की। एक दिवसीय इस सम्मेलन में लघुकथाओं पर विस्तृत चर्चा हुई। विश्व मैत्री मंच के वाट्स एप समूह के द्वारा भी प्रति शनिवार लघुकथा की वर्कशॉप आयोजित की जाती है। जिसमें 210 सदस्यों द्वारा लघुकथाएँ लिखी जाती हैं और उन पर खुलेपन से आलोचनापरक विचार प्रस्तुत किये जाते हैं। विश्व मैत्री मंच समूह में लिखी गई लघुकथाओं का एक संग्रह भी  प्रकाशित हो चुका है। इसका लोकार्पण विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली, 2017 में होगा।

हिन्दी लघुकथा का मनोविज्ञान
3 अक्टूबर 2016  से लघुकथा केन्द्रित अपने हिन्दी ब्लॉग 'लघुकथा-वार्ता' पर बलराम अग्रवाल ने ‘हिन्दी लघुकथा का मनोविज्ञान’ शीर्षक के अन्तर्गत ‘हिन्दी लघुकथा : परम्परा और विकास'शीर्षक पहले अध्याय की शृंखलाबद्ध प्रस्तुति प्रारम्भ की। इस शृंखला में  लघुकथा विकास पर पैनी दृष्टि अवलोकित हुई है। अपने एक अन्य ब्लॉग के माध्यम से उन्होंने सन् 1971 ई. से 2016 ई. तक प्रकाशित लघुकथा संग्रहों व लघुकथा संकलनों की सूची,  लघुकथा गोष्ठियों व सम्मेलनों सहित अन्य गतिविधियों पर व्यापक रूप से समग्र जानकारी उपलब्ध करवायी है जो अपने आप में भागीरथी प्रयास है। अंतर्जाल पर लघुकथा पर पूर्णत: केन्द्रित एकमात्र वेब पत्रिका ‘लघुकथा डॉट काम’ ने इस साल अध्ययन कक्ष में सतीशराज पुष्करणा, कमल चोपड़ा, बलराम अग्रवाल इत्यादि लघुकथाकारों के महत्वपूर्ण आलेखों का प्रकाशन किया है।
इस लेख में मैंने नवम्बर 2016 के अन्तिम पखवाड़े तक सम्पन्न लघुकथा से जुड़ी अधिकतम सूचनाओं को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
कान्ता रॉय, मकान नम्बर-21, सेक्टर-सी, सुभाष कॉलोनी, नियर हाई टेंशन लाईन, गोविंदपुरा, भोपाल-462023   फोन- 9575465147ई ई-मेल- roy.kanta69@gmail.com





Friday, 21 October 2016

लघुकथा संकलनों की सूची (1971 से 2016)

आवरण : कुँअर रवीन्द्र
दिनांक 19 अक्टूबर 2016 के अंक में सन् 1971 से सन् 2016 तक  प्रकाशित लघुकथा संग्रहों की सूची प्रकाशित की थी। यहाँ प्रस्तुत है उक्त काल में प्रकाशित लघुकथा संकलनों की सूची। ये सब नाम  मेरी सद्य: प्रकाशित पुस्तक 'हिन्दी लघुकथा का मनोविज्ञान' के अन्त में दर्ज़ हैं। आप सभी मित्रों के अवलोकनार्थ वह सूची यहाँ दे रहा हूँ। जिन मित्रों के संग्रहों के नाम इसमें छूट गये हों, वे तुरन्त मुझे मेरे ई-मेल 2611ableram@gmail.com पर अथवा फेसबुक पर मेरे मैसेज बॉक्स में उसकी सूचना दे सकते हैं।                                                                  --बलराम अग्रवाल
  •  दो धाराएँ: ब्रजभूषण सिंह आदर्श एवं शशांक आदर्श: 1972
  •  गुफाओं से मैदान की ओर: रमेश जैन एवं भगीरथ परिहार (सं.): 1974
  • प्रतिनिधि लघुकथाएँ: सतीश दुबे एवं सूर्यकान्त नागर (सं.): दिसम्बर 1976
  • समान्तर लघुकथाएँ: नरेन्द्र मौर्य, नर्मदाप्रसाद उपाध्याय (सं.): 1977
  • श्रेष्ठ लघुकथाएँ: शंकर पुणताम्बेकर (सं.): 1977
  • छोटी-बड़ी बातें: महावीर प्रसाद जैन, जगदीश कश्यप (सं.): 1978
  • आठवें दशक की लघुकथाएँ: सतीश दुबे (सं.): 1979
  • कितनी आवाजें: विकेश निझावन, हीरालाल नागर (सं.): 1980
  • लघुकथा: दिशा एवं दिशा: अरविंद, कृष्ण कमलेश (सं.): 1981
  • बोलते हाशिये: राजा नरेन्द्र (सं.): 1981
  • बिखरे संदर्भ: सतीशराज पुष्करणा (सं.): 1981
  • हस्ताक्षर: शमीम सर्मा (सं.): 1982
  • आतंक: धीरेन्द्र शर्मा, नन्दल हितैषी (सं.): 1983
  • स्वरों का आक्रोश: हरनाम शर्मा (सं.): 1983
  • अनकहे कथ्य: अशोक वर्मा (सं.): 1984
  • प्रतिवाद: कमल चोपड़ा (सं.): 1984
  • चीखते स्वर: नरेन्द्र प्रसाद ‘नवीन’ (सं.): 1984
  • सबूत दर सबूत: महेन्द्र सिंह महलान-मोहन योगी (सं.): 1984
  • कथानामा-1: बलराम (सं.): 1985
  • कथानामा-2: बलराम (सं.): 1985
  • आदमीनामा:  सिद्धेश्वर-तारिक असलम ‘तस्नीम’ (सं.): 1985
  • आज के प्रतिबिम्ब: सतीशराज पुष्करणा (सं.): 1985
  • अपवाद: कमल चोपड़ा (सं.): 1986
  • आयुध: कमल चोपड़ा (सं.): 1986
  • दस्तावेज़: प्रेम गुप्ता ‘मानी’ (सं.): 1986
  • कल हमारा है: मदन अरोरा (सं.): 1986
  • आवाजें: रूप देवगुण, राजकुमार निजात (सं.): 1986
  • हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ लघुकथाएँ: सतीशराज पुष्करणा (सं.): 1986
  • संघर्ष: महेन्द्र सिंह महलान, अंजना अनिल (सं.): 1987
  • बिहार की हिन्दी लघुकथाएँ: सतीशराज पुष्करणा (सं.): 1988
  • भारतीय लघुकथा कोश-1: बलराम (सं.): 1989
  • भारतीय लघुकथा कोश-2: बलराम (सं.): 1989
  • जिन्दगी के आसपास: राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’ (सं.): 1989
  • अलाव फूँकते हुए: कुलदीप जैन (सं.): 1990
  • साँझा हाशिया: कुमार नरेन्द्र (सं.): 1991
  • मंथन: महेन्द्र सिंह महलान, अंजना अनिल (सं.): 1991
  • अपराजित कथा-1: रामजी शर्मा ‘रजिका’ (सं.): 1991
  • हिन्दी की जनवादी लघुकथाएँ: रामयतन यादव (सं.): 1991
  • हिन्दी की सशक्त लघुकथाएँ: रूप देवगुण (सं.): 1991
  • समक्ष: सतीश राठी (सं.): 1991
  • स्त्री-पुरुष संबंधों की लघुकथाएँ: सुकेश साहनी (सं.): 1992
  • महानगर की लघुकथाएँ: सुकेश साहनी (सं.): 1993
  • परिहासिनी: बलराम अग्रवाल (सं.): 1996
  • तीसरा क्षितिज: सतीश राठी (सं.): 1996
  • कथाबिंदु: रूपसिंह चन्देल, सुभाष नीरव, हीरालाल नागर (सं.): 1997
  • देह-व्यापार की लघुकथाएँ: सुकेश साहनी (सं.): 1997
  • हिमाचल की श्रेष्ठ लघुकथाएँ: रतन चंद ‘रत्नेश’ (सं.): 1998
  • दिशाएँ: डाॅ सतीशराज पुष्करणा (सं.): 2000
  • बीसवीं सदी: प्रतिनिधि लघुकथाएँ: सुकेश साहनी (सं.): 2000
  • लघु कथा संग्रह भाग-एक: जयमन्त मिश्र (सं.): 2001
  • लघु कथा संग्रह भाग-दो: जयमन्त मिश्र (सं.): 2001
  • दरकते किनारे: सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा (सं.): 2002
  • झूठे सच: विश्वप्रताप भारती (सं.): 2005
  • राजस्थान की चर्चित लघुकथाएँ: भगीरथ (सं.): 2006
  • कोसी अंचल की लघुकथाएँ: महेन्द्र नारायण ‘पंकज’ (सं.): 2006
  • समप्रभ: प्रतापसिंह सोढी-योगेन्द्रनाथ शुक्ल (सं.):  2006
  • प्रतीकात्मक लघुकथाएँ: रामकुमार घोटड़ (सं.): 2006
  • पौराणिक सन्दर्भ की लघुकथाएँ: रामकुमार घोटड़ (सं.): 2006
  • प्रतिनिधि लघुकथाएँ: तारिक असलम ‘तस्नीम’ (सं॰): 2006
  • बीसवीं सदी की चर्चित हिंदी लघुकथाएँ: जगदीश कश्यप (सं.): 2007
  • दलित समाज की लघुकथाएँ: रामकुमार घोटड़ (सं.): 2008
  • मानक हिन्दी लघुकथा कोश-1: बलराम (सं.): 2009
  • मानक हिन्दी लघुकथा कोश-2: बलराम (सं.): 2009
  • नींव के नायक: अशोक भाटिया (सं.): 2010
  • तेलुगु की मानक लघुकथाएँ: बलराम अग्रवाल (सं.): 2010
  • हरियाणा की प्रतिनिधि लघुकथा: रूप देवगुण (सं.): 2010
  • आधुनिक हिंदी लघुकथाएं: त्रिलोक सिंह ठकुरेला (सं.): 2012
  • लघुकथाएँ मेरी पसन्द: सुकेश साहनी, रामेश्वर काम्बोज हिमांशु (सं.): 2012
  • दिल्ली की लघुकथाएँ: अनिल शूर आजाद (सं.): 2013
  • पड़ाव और पड़ताल: मधुदीप (सं.): 2013
  • नारी संवेदना की लघुकथाएँ: मालती बसंत-कुंकुम गुप्ता (सं.) 2013
  • लघुकथा: देश-देशान्तर: सुकेश साहनी-रामेश्वर काम्बोज हिमांशु (सं.): 2013
  • लघुकथाएँ जीवन-मूल्यों की: सुकेश साहनी-रामेश्वर काम्बोज हिमांशु (सं.): 2013
  • हरियाणा की समकालीन लघुकथा: सुभाष रस्तोगी (सं.): 2013
  • मध्यप्रदेश की लघुकथाएँ: अनिल शूर आजाद (सं.): 2014
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-6: अशोक भाटिया (सं.): 2014
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-2: बलराम अग्रवाल (सं.): 2014
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-4: भगीरथ (सं.): 2014
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-3: मधुदीप (सं.): 2014
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-5: मधुदीप (सं.): 2014
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-7: मधुदीप (सं.): 2014
  • गुलाम भारत की लघुकथाएँ: रामकुमार घोटड़ (सं.): 2014
  • पंजाब से लघुकथाएँ: अशोक भाटिया (सं.): 2015
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-10: अशोक वर्मा (सं.): 2015
  • ककुभ-4: कुँवर प्रेमिल (सं.): 2015
  • मुट्ठी भर अक्षर: नीलिमा शर्मा (सं.): 2015
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-8: प्रबोध कुमार गोविल (सं.): 2015
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-9: मधुदीप (सं.): 2015
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-11: मधुदीप (सं.): 2015
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-13: मधुदीप (सं.): 2015
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-14: मधुदीप (सं.): 2015
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-15: मधुदीप (सं.): 2015
  • पड़ाव और पड़ताल खण्ड-12: रामकुमार घोटड़ (सं.): 2015
  • हरियाणा महिला लघुकथा लेखन: परिदृश्य: रूप देवगुण (सं.): 2015
  • हरियाणा से लघुकथाएँ : अशोक भाटिया (सं.): 2016
  • मधुदीप की 66 लघुकथाएँ: उमेश महादोषी (सं.): 2016
  • भगीरथ की 66 लघुकथाएँ: मधुदीप (सं.): 2016
  • बलराम अग्रवाल की 66 लघुकथाएँ: मधुदीप (सं.): 2016
  • सतीश दुबे की 66 लघुकथाएँ: मधुदीप (सं.): 2016
  • कमल चोपड़ा की 66 लघुकथाएँ: मधुदीप (सं.): 2016
  • अशोक भाटिया की 66 लघुकथाएँ: मधुदीप (सं.): 2016
  • सतीशराज पुष्करणा की 66 लघुकथाएँ: मधुदीप (सं.): 2016
  • मधुकान्त की 66 लघुकथाएँ: मधुदीप (सं.): 2016
  • चलें नीड़ की ओर: कान्ता राय (सं.): 2016
  • बूँद बूँद सागर: जितेन्द्र जीतू, नीरज सुधांशु (सं.): 2016
  • समसामयिक हिंदी लघुकथाएँ: त्रिलोक सिंह ठकुरेला (सं.): 2016
  • आँखों देखी लघुकथा: विकास मिश्र (सं.): 2016
  • लघुकथा अनवरत: सुकेश साहनी-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ (सं.): 2016
  • आदिम पुराकथाएँ (पुराकथा संकलन) वसन्त निरगुणे (सं.): 2016
 कुछ और लघुकथा संकलन--विगत दशक की पंजाबी लघुकथाएँ: श्याम सुन्दर अग्रवाल-श्याम सुन्दर ‘दीप्ति’ (सं.) ; ककुभ-2: कुँवर प्रेमिल (सं.); ककुभ-3: कुँवर प्रेमिल (सं);  असफल दाम्पत्य की लघुकथाएँ: इं. केदारनाथ (सं.); नारी जीवन की लघुकथाएँ: इं. केदारनाथ; इमारत: महेन्द्र सिंह महलान-अंजना अनिल (सं.)

Wednesday, 19 October 2016

लघुकथा संग्रह सूची (1971 से 2016)

सन् 1971 से सन् 2016 तक  प्रकाशित जिन लघुकथा संग्रहों की सूचना मुझे प्राप्त हुई थी, उन सबके नाम  मेरी सद्य: प्रकाशित पुस्तक 'हिन्दी लघुकथा का मनोविज्ञान' के अन्त में दर्ज़ हैं। आप सभी मित्रों के अवलोकनार्थ वह सूची यहाँ दे रहा हूँ। जिन मित्रों के संग्रहों के नाम इसमें छूट गये हों, वे तुरन्त मुझे मेरे ई-मेल 2611ableram@gmail.com पर अथवा फेसबुक पर मेरे मैसेज बॉक्स में उसकी सूचना दें।                                                                                            --बलराम अग्रवाल

लघुकथा संग्रह  सूची (प्रकाशन वर्ष के क्रम में)

¨    ऐतिहासिक लघुकथाएँ: आचार्य जगदीश चन्द्र मिश्र: 1971
¨    नया पंचतन्त्र : रामनारायण उपध्याय: 1974
¨    सिसकता उजास: डाॅ सतीश दुबे: 1974
¨    मोहभंग : प्रो. कृष्ण कमलेश: 1975
¨    निर्माण के अंकुर : शरद कुमार मिश्र ‘शरद’: 1975
¨    अभिमन्यु का सत्ताव्यूह : श्रीराम ठाकुर ‘दादा’: 1977
¨    छोटी-बड़ी बातें: महावीर प्रसाद जैन-जगदीश कश्यप: 1978
¨    कालपात्र : दुर्गादत्त दुर्गेश: 1979
¨    एक और अभिमन्यु: सनत मिश्र: 1979
¨    नीम चढ़ी गुरबेल : श्रीराम मीणा: 1980
¨    विकलांग श्रद्धा का दौर : हरिशंकर परसाई: 1980
¨    आपकी कृपा है : विष्णु प्रभाकर : 1982
¨    मिट्टी की गंध : चन्द्रभूषण सिंह ‘चन्द्र’: 1984
¨    मुटठी भर आक्रोश : मुकेश रावल: 1985
¨    कांकर पाथर : श्याम सुन्दर व्यास: 1985
¨    अक्षरों के आँसू : शराफत अली खान : 1985
¨    तुलसी चैरे पर नागफनी : डाॅ॰ उपेन्द्र प्रसाद राय: 1987
¨    प्रसंगवश : सतीशराज पुष्करणा : 1987
¨    यहीं-कहीं: सुरेश जांगिड़ उदय : 1989
¨    कौन जीता कौन हारा : विष्णु प्रभाकर: 1989
¨    बदलती हवा के साथ : डाॅ सतीशराज पुष्करणा: 1990
¨    अभिप्राय: कमल चोपड़ा: 1990
¨    भीड़ में खोया आदमी: डाॅ सतीश दुबे: 1990
¨    अपने-अपने दायरे: पवन शर्मा: 1990
¨    हिस्से का दूध: मधुदीप: 1991
¨    डरे हुए लोग: सुकेश साहनी: 1991
¨    अतीत का प्रश्न: मालती महावर: 1991
¨    इस बार: कमलेश भारतीय: 1992
¨    मृगजल: बलराम: 1992
¨    इक्कीस जूते: रामकुमार आत्रेय : 1993
¨    जहर के खिलाफ: सतीशराज पुष्करणा: 1993
¨    सरसों के फूल: बलराम अग्रवाल: 1994
¨    खाते बोलते हैं : अशोक वर्मा: 1995
¨    मेरी बात तेरी बात : मधुदीप : 1995
¨    रुकी हुई हंसिनी : बलराम : 1995
¨    प्रहार : गोविन्द गौड़ : 1996
¨    जंग लगी कीलें : पवन शर्मा : 1996
¨    मैं समय हूँ : विपिन जैन : 1996
¨    तीन न तेरह : पृथ्वीराज अरोड़ा : 1997
¨    ईश्वर की कहानियाँ : विष्णु नागर : 1997
¨    आग : माधव नागदा : 1998
¨    प्रेक्षागृह : डाॅ सतीश दुबे : 1998
¨    असभ्य नगर : रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ : 1998
¨    आँखों वाले अंधे : रामकुमार आत्रेय : 1999
¨    उल्लास: चैतन्य त्रिवेदी: 2000
¨    परिवर्तन: माला वर्मा: 2000
¨    अंधेरे के विरुद्ध: डाॅ मिथिलेश कुमारी मिश्र: 2000
¨    तरकश का आखिरी तीर: अतुल मोहन प्रसाद: 2001
¨    सच्चा सुख: आशा मेहता: 2001
¨    दो सौ ग्यारह लघुकथाएँ: उषा जैन शीरीं: 2001
¨    अन्यथा: कमल चोपड़ा: 2001
¨    इधर उधर से: बीजेन्द्र कुमार जैमिनी: 2001
¨    केक्टस:  मोइनुद्दीन अतहर: 2001
¨    अभिमन्यु की जीत: राजेन्द्र वर्मा: 2001
¨    जंगल की आग: सी. रा. प्रसाद: 2001
¨    राजा नंगा हो गया: सुनीता सिंह: 2001
¨    सलीब पर टँगे चेहरे: सुरेन्द्र कुमार अंशुल: 2001
¨    यथार्थ के साये में: आलोक भारती: 2002
¨    रूडोल्फ पाइनर: अनु. अमृत मेहता: 2002
¨    सुरंगनी: कृष्णा भटनागर: 2002
¨    कीलें: कालीचरण प्रेमी: 2002
¨    घोषणापत्र: जीवितराम सेतपाल: 2002
¨    हजारों-हजार बीज: भगवान दास वैद्य ‘प्रखर’: 2002
¨    बदले हुए शब्द: भारती खुबालकर:  2002
¨    मीमांसा: मथुरानाथ सिंह ‘रानीपुरी’: 2002
¨    एक और एकलव्य: मदन लाल वर्मा: 2002
¨    ब्लैकबोर्ड: मधुकांत: 2002
¨    अपने आसपास: मनु स्वामी: 2002
¨    हलफनामा: मनोज सोनकर: 2002
¨    छँटता कोहरा: डाॅ. मिथिलेश कुमारी मिश्र: 2002
¨    जब द्रोपदी नंगी नहीं हुई: युगल: 2002
¨    कागज के रिश्ते: राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’: 2002
¨    सरोवर में थिरकता सागर: वीरेन्द्र कुमार भारद्वाज: 2002
¨    शब्द साक्षी है: सतीश राठी: 2002
¨    रोटी का निशान: सुखचैन सिंह भंडारी: 2002
¨    अपनी-अपनी सोच: संतोष गर्ग: 2002
¨    पश्चाताप की आग: सुदर्शन भाटिया: 2002
¨    साॅरी सर!: सुदर्शन भाटिया: 2002
¨    गुस्ताखी माफ: सुदर्शन भाटिया: 2002
¨    लुटेरे छोटे-छोटे: सत्यप्रकाश भारद्वाज: 2002
¨    यह भी सच है: डाॅ. शैल रस्तौगी: 2002
¨    मेरा शहर और ये दंगे: डाॅ. शैल रस्तौगी: 2002
¨    स्याह सच: हृषीकेश पाठक: 2002
¨    कटाक्ष: किशोर श्रीवास्तव: 2003
¨    लपटें: चित्रा मुद्गल: 2003
¨    कदम कदम पर हादसे: जगदीश कश्यप: 2003
¨    अनुभव: डाॅ.. नरेन्द्र नाथ लाहा: 2003
¨    पूजा: पृथ्वीराज अरोड़ा: 2003
¨    लघुदंश : प्रद्युम्न भल्ला: 2003
¨    खुलते परिदृश्य: प्रेम विज: 2003
¨    नमस्कार प्रजातन्त्र: महेन्द्र राजा: 2003
¨    मीरा जैन की सौ लघुकथाएँ: मीरा जैन: 2003
¨    भूखे पेट की डकार: रविशंकर परसाई: 2003
¨    यह मत पूछो: रूप देवगुण: 2003
¨    उत्तराधिकारी: सुदर्शन भाटिया: 2003
¨    पहाड़ पर कटहल: सुदर्शन वशिष्ठ: 2003
¨    कीकर के पत्ते: शराफत अली खान: 2003
¨    देन उसकी हमारे लिए: अन्तरा करवड़े: 2004
¨    सपनों की उम्र: अशोक मिश्र: 2004

¨    अछूते संदर्भ: कनु भारतीय: 2004
¨    बयान: चित्रा मुद्गल: 2004
¨    सच के सिवा: जसवीर चावला: 2004
¨    कड़वे सच: दलीप भाटिया: 2004
¨    सफेद होता खून: डाॅ. प्रदीप शर्मा ‘स्नेही’: 2004
¨    सागर के मोती: डाॅ. प्रभाकर शर्मा: 2004
¨    जुबैदा: बलराम अग्रवाल: 2004
¨    चन्ना चरनदास: (कहानी-लघुकथा) बलराम अग्रवाल: 2004
¨    मुर्दे की लकड़ी: भगवान देव चैतन्य: 2004
¨    बुढ़ापे की दौलत: मालती वसंत: 2004
¨    पोस्टर्स: मनोज सोनकर: 2004
¨    कर्तव्य-बोध: माणक तुलसीराम गौड़: 2004
¨    अपना हाथ जगन्नाथ: सुदर्शन भाटिया: 2004
¨    कीकर के पत्ते: शराफत अली खान: 2004
¨    अपना अपना दुःख: शिवनाथ राय: 2004
¨    उसी पगडंडी पर पाँव: डाॅ. शील कौशिक: 2004
¨    चुभन: अतुल मोहन प्रसाद: 2005
¨    प्रभात की उर्मियाँ: आशा शैली: 2005
¨    अन्तर्मन की कथाएँ: करुणाश्री: 2005
¨    आस्था के फूल: कमल कपूर: 2005
¨    भोर होने तक: कृष्ण लता यादव: 2005
¨    कसकती बीथियाँ: कृष्णा भटनागर: 2005
¨    अनुवांशिकी: कुँवर प्रेमिल: 2005
¨    आज का सच: प्रो.॰ जितेन्द्र सूद: 2005
¨    अनुष्ठान: डाॅ. नरेन्द्र मिश्र ‘धड़कन’: 2005
¨    जाँच: मनोज सोनकर: 2005
¨    अन्तर्मन की आग: मीरा शलभ: 2005
¨    वर्तमान का सच: मोइनुद्दीन अतहर: 2005
¨    गर्म रेत: युगल: 2005
¨    फूल मत तोड़ो: प्रो. रघुवीर ‘अनाम’: 2005
¨    दूर होता गाँव: राजेन्द्र परदेसी: 2005
¨    उसका सपना: रेखा कारड़ा: 2005
¨    व्यथा रोग: ललित नारायण उपाध्याय: 2005
¨    बच्चा और गेंद: विष्णु नागर: 2005
¨    बेदर्द माँ:  विनोद खनगवाल: 2005
¨    दिनदहाड़े: सरला अग्रवाल: 2005
¨    रथ का पहिया: सुदर्शन भाटिया: 2005
¨    मजदूर का मसीहा: सुदर्शन भाटिया: 2005
¨    सुविधा शुल्क: सुदर्शन भाटिया: 2005
¨    तो यह बात है: सुदर्शन भाटिया: 2005
¨    रोशनी की किरचें: डाॅ. सुधा जैन: 2005
¨    हवा के खिलाफ: सुरेन्द्र कुमार अंशुल: 2005
¨    प्रसाद: सुरेन्द्र गुप्त: 2005
¨    कही-बतकही: सूरज मृदुल: 2005
¨    प्रतिनिधि लघुकथाएँ: अनिल शूर आजाद: 2006
¨    गुलाब के काँटे: अशोक माधव: 2006
¨    स्वांतः सुखाय: उर्मिला कौल: 2006
¨    उल्टी गिनती: चेतना भाटी: 2006
¨    आतंकवादी: जसबीर चावला: 2006
¨    आज का समाजवाद: जगतनारायण प्यारा वशिष्ठ: 2006
¨    पोस्टकार्ड: जीवितराम सेतपाल: 2006
¨    प्रतिनिधि लघुकथाएँ: तारिक असलम तस्नीम: 2006
¨    पहली उड़ान: देवेन्द्र गो. होल्कर: 2006
¨    समयचक्र: नदीम अहमद नदीम: 2006
¨    कानून के फूल: पवन चैधरी ‘मनमौजी’: 2006
¨    नेगेटिव्ज: मनोज सोनकर: 2006
¨    कूरियर: मनोज सोनकर: 2006
¨    कागज की नाव: महेन्द्र राजा: 2006
¨    यह दिल्ली है बुढ़ऊ: मदन मोहन वर्मा: 2006
¨    शिक्षा और संस्कार : मालती वसंत : 2006
¨    पड़ाव से आगे : युगल : 2006
¨    मानसगंध: रमेश सिद्धार्थ: 2006
¨    रू-ब-रू: डाॅ. रामकुमार घोटड़: 2006
¨    छोटी-सी बात: रामकुमार आत्रोय: 2006
¨    देवदासी: रामबहादुर माथुर ‘व्यथित’: 2006
¨    नई सदी की लघुकथाएँ: रामप्रसाद अटल: 2006
¨    सुहागरात: वीरेन्द्र कुमार भटनागर: 2006
¨    दीवार के पार: संजय कुमार शर्मा: 2006
¨    समय का दर्पण: सुकीर्ति भटनागर: 2006
¨    जज्बात : सुखवंत सिंह मरवाहा: 2006
¨    यू आर ग्रेट: सुदर्शन भाटिया: 2006
¨    संकल्प में शक्ति: सुदर्शन भाटिया: 2006
¨    विषबीज: सूर्यकांत नागर: 2006
¨    सुख की साँस: शिवनाथ राय: 2006
¨    विडम्बना: शैल चन्द्रा: 2006
¨    मैं हिन्दू हूँ: असगर वजाहत: 2007
¨    अंजुरीभर साहित्य: अनिल शूर ‘आजाद’: 2007
¨    सच को तलाशती लघुकथाएँ: डाॅ.अरुणेन्द्र भारती: 2007
¨    कोख का दर्द: आचार्य भगवान देव ‘चैतन्य’: 2007
¨    भविष्य से साक्षात्कार: इन्दु गुप्ता: 2007
¨    गांधारी की पीड़ा: इन्दिरा खुराना: 2007
¨    नंगा नाचे मातादीन: डाॅ. उपेन्द्र प्रसाद राय: 2007
¨    चेतना के रंग: कृष्ण लता यादव: 2007
¨    तलाश: गुरनाम सिंह रीहल: 2007
¨    हौं कहता अँखियन देखी: नरेन्द्र सिंह: 2007
¨    एक और गान्धारी: नरेन्द्र कौर छाबड़ा: 2007
¨    आओ इन्सान बनाएँ: पृथ्वीराज अरोड़ा: 2007
¨    सायरन: मनोज सोनकर: 2007
¨    प्रतिहार: मुकुट सक्सेना: 2007
¨    कथन: वीरबाला भावसागर: 2007
¨    समकालीन सौ लघुकथाएँ: डाॅ. सतीश दुबे: 2007
¨    हाशिए का आदमी: संतोष सुपेकर: 2007
¨    इन्द्रधनुषी लघुकथाएँ: सुदर्शन भाटिया: 2007
¨    आधुनिक समाज की लघुकथाएँ:  सुदर्शन भाटिया: 2007
¨    कलियुग की लघुकथाएँ: सुदर्शन भाटिया: 2007
¨    पौराणिक तथा ऐतिहासिक लघुकथाएँ: सुदर्शन भाटिया: 2007
¨    दूध का दूध पानी का पानी: सुदर्शन भाटिया: 2007
¨    विश्वगुरु भारत: सुदर्शन भाटिया: 2007
¨    पागल कौन: सुशील डाबर ‘साथी’: 2007
¨    शुद्धिपत्र : सुशील ‘शीलू’: 2007
¨    मेरी प्रिय लघुकथाएँ: सुरेन्द्र कृष्ण: 2007
¨    ऐसा भी होता है: शैल रस्तोगी: 2007
¨    नावक के तीर: श्याम सखा ‘श्याम’: 2007
¨    मेरी एक सौ इक्कीस लघुकथाएँ: श्रीराम ठाकुर ‘दादा’: 2007
¨    अपने देश में: हरनाम शर्मा: 2007
¨    तुम क्या जानो: अशोक गुजराती: 2008
¨    साकार स्वप्न: अर्चना अर्ची: 2008
¨    दृष्टि: उर्मिकृकृष्ण: 2008
¨    ऐसे न थे तुम: कमलेश भारतीय: 2008
¨    पर्दे के पीछे: किशनलाल शर्मा: 2008
¨    कोमा में मछली: जसबीर चावला: 2008
¨    सुनो, रहमान बाबू: जोगिन्दरपाल सिंह: 2008
¨    भेड़िया जिन्दा है: ज्ञानदेव मुकेश: 2008
¨    खुदा की देन: तारिक असलम तसनीम: 2008
¨    टूटे हुए चेहरे: देवेन्द्र नाथ साह: 2008

¨    डोंगी: नीरज नैथानी: 2008
¨    किरचें: प्रदीप शर्मा ‘स्नेही’: 2008
¨    शब्द संवाद: प्रताप सिंह सोढ़ी: 2008
¨    सीधी है भोली कला भाल में रची चावल रोली: पारस दासोत: 2008
¨    चुभन: भानु सिंहल: 2008
¨    नींद टूटने के बाद: मधुकांत: 2008
¨    खिड़कियाँ: मनोज सोनकर: 2008
¨    माँ की तस्वीर: माणक तुलसीराम गौड़: 2008
¨    मुखरित संवेदनाएँ: डाॅ. मुक्ता: 2008
¨    लघुकथाओं का पिटारा: डाॅ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल: 2008
¨    रेत का सफर: राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’: 2008
¨    कथा संवाद: राज हीरामन(माॅरीशस) : 2008
¨    स्वर्ग से जम्बूद्वीप तक : वेद शर्मा: 2008
¨    आज के देवता : सैली बलजीत: 2008
¨    पूनम की चाँदनी: सत्यपाल ‘निश्चिंत’: 2008
¨    समय का सच: सुधा जैन: 2008
¨    भीड़ में: सुरेन्द्र मंथन: 2008
¨    विष-कन्या: सुरेन्द्र अरोड़ा: 2008
¨    बुद्धि और बल: सुदर्शन भाटिया: 2008
¨    आशा की किरण: डाॅ. हरनेक सिंह कैले: 2008
¨    आजादी की फसल: अमरीक सिंह दीप: 2009
¨    अन्तत: आलोक भारती: 2009
¨    दुपट्टा: विकेश निझावन: 2009
¨    नंगा सच: रोहित यादव: 2009
¨    कस्तूरी गंध: अंजु दुआ जैमिनी: 2009
¨    मानवता के हत्यारे: गणेश प्रसाद महतो: 2009
¨    अपने-अपने सपने: घनश्याम अग्रवाल: 2009
¨    जल तरंग: ज्योति जैन: 2009
¨    तस्तरी चाँदी की: प्रो. जितेन्द्र सूद: 2009
¨    थाली कैसे बजेगी: देव शर्मा: 2009
¨    हम जहाँ हैं: पवन शर्मा: 2009
¨    वह अजनबी: प्रदीप शशांक: 2009
¨    अर्थ के आँसू: मोहम्मद आरिफ: 2009
¨    दृष्टि: मोइनुद्दीन अतहर: 2009
¨    अक्षय तूणीर: मुरलीधर वैष्णव: 2009
¨    फूलों वाली दूब: युगल: 2009
¨    हो चुका फैसला: डाॅ. राम निवास मानव: 2009
¨    कोठरी वाली माँ: डाॅ. राजेन्द्र साहिल: 2009
¨    मौन पुकार: राम कुमार गहलावत: 2009
¨    आधी दुनिया की लघुकथाएँ: डाॅ. रामकुमार घोटड़: 2009
¨    मेरी श्रेष्ठ लघुकथाएँ: डाॅ. रामकुमार घोटड़: 2009
¨    घाव करे गम्भीर: राज हीरामन: 2009
¨    कतरा कतरा सच: लक्ष्मी रूपल: 2009
¨    आवरण के आर-पार: सत्यवीर ‘मानव’: 2009
¨    सीपी में सागर: सरला अग्रवाल: 2009
¨    अँधेरे में आँख: अशोक भाटिया: 2010
¨    धूमकेतु: अरविन्द बेलवाल: 2010
¨    मुश्किल काम: असगर वजाहत: 2010
¨    कबूतरों से भी खतरा है: एन. उन्नी: 2010
¨    आस्था के फूल: करुणाश्री: 2010
¨    सत्यमेव जयते: गुरनाम सिंह: 2010
¨    सुनामी सड़क: चेतना भाटी: 2010
¨    तेंतीसवीं पुतली: जसवीर चावला: 2010
¨    युगगाथा: त्रिलोक सिंह बृजवाल: 2010
¨    दर्द अपना-अपना: नन्दल हितैषी: 2010
¨    एहसास: नरेन्द्र गौड़: 2010
¨    मेरी लोकप्रिय लघुकथाएँ: निर्मला सिंह: 2010
¨    चुभते लम्हे: टी. महादेव राव: 2010
¨    दर्पण एक बिम्ब अनेक: प्रकाश तातेड़: 2010
¨    सिर्फ तुम: पंकज शर्मा: 2010
¨    आम आदमी से सम्बन्धित लघुकथाएँ: पुष्पलता कश्यप: 2010
¨    101 लघुकथाएँ: मीरा जैन: 2010
¨    मेरी शैक्षिक लघुकथाएँ: मधुकांत: 2010
¨    बाॅस का डिनर: महेश राजा: 2010
¨    मोती-से आँसू: रमेश माहेश्वरी ‘राजहंस’: 2010
¨    हिमायत: राम निवास बाँयला: 2010
¨    उम्रकैद: राजेन्द्र सिंह यादव: 2010
¨    प्रतिनिधि लघुकथा शतक: रत्नकुमार सांभरिया: 2010
¨    बन्द आँखों का समाज: सन्तोष सुपेकर: 2010
¨    कतरन: सत्यनारायण सिंह ‘आलोक’: 2010
¨    छोटे छोटे महायुद्ध: संतोष परिहार: 2010
¨    संजय कामरेड हो गया: संदीप तोमर: 2010
¨    एक मुट्ठी आसमान: सिमर सदोष: 2010
¨    आत्मिक शान्ति: सुदर्शन भाटिया: 2010
¨    101 लघुकथाएँ: विजय अग्रवाल: 2011
¨    आकाशदीप: नरेश कुमार उदास: 2012
¨    वचन: पूरन सिंह: 2012
¨    सत्यमेव जयते : डाॅ. लीला मोरे धुलधुये: 2012
¨    गुलामी तथा अन्य लघुकथाएँ: वेदप्रकाश अमिताभ: 2012
¨    सफर में आदमी: सुभाष नीरव: 2012
¨    अजनबी: सुरेन्द्र प्रसाद: 2012
¨    टुकड़ा-टुकड़ा जि़न्दगी: हरपाल सिंह पँवार: 2012
¨    मेरी किन्नर केद्रित लघुकथाएँ: पारस दासोत: 2013
¨    मेरी मनोवैज्ञानिक लघुकथाएँ: पारस दासोत: 2013

¨    बूंदों का उपहार: रंजना फतेपुरकर: 2013
¨    वेदना संवेदना: सुधा भार्गव: 2013
¨    विरासत: अमित कुमार: 2014
¨    कथा शतक: अंजुल कंसल ‘कनुप्रिया’: 2014
¨    हरी-सुनहरी पत्तियाँ: कमल कपूर: 2014
¨    नीम का पेड़: किशनलाल शर्मा: 2014
¨    रामदीन का चिराग: गोविन्द शर्मा: 2014
¨    तेरा मेरा खुदा: जफर मेंहदी जाफरी: 2014
¨    उतरन: ज्ञानदेव मुकेश: 2014
¨    हौसला: मधुकान्त: 2014
¨    बिके हुए लोग: वसंत निरगुणे: 2014
¨    तीसरा पैग: सुरेन्द्र अरोड़ा: 2014
¨    दिन अपने लिए: शोभा रस्तोगी: 2014
¨    गैर हाजिर रिश्ता: श्याम सुन्दर दीप्ति: 2014
¨    बेटी का हिस्सा: श्याम सुन्दर अग्रवाल: 2014
¨    माटी कहे: आभा सिंह: 2015
¨    अनर्थ: कमल चोपड़ा: 2015
¨    घाट पर ठहराव कहाँ: कान्ता राय: 2015
¨    आँगन से राजपथ: पवित्रा अग्रवाल: 2015
¨    पीले पंखों वाली तितलियाँ: बलराम अग्रवाल: 2015
¨    समय का पहिया: मधुदीप: 2015
¨    उसे नहीं मालूम: महेन्द्र नेह: 2015
¨    थोड़ी-सी हँसी: माला वर्मा: 2015
¨    दर्पण के उस पार: रामकुमार घोटड़: 2015
¨    ट्वीट: सतीश दुबे: 2015
¨    अंदाज नया: अशोक गुजराती: 2016
¨    जीवन का प्रवाह: कल्पना विजयवर्गीय: 2016
¨    आँगन-आँगन हरसिंगार: कमल कपूर: 2016
¨    पथ का चुनाव : कान्ता राय: 2016
¨    अनसुलझा प्रश्न : किशनलाल शर्मा: 2016
¨    एक पेग जिन्दगी : पूनम डोगरा: 2016
¨    रिंगटोन : ब्रजेश कानूनगो: 2016
¨    सम्यक लघुकथाएँ : मीरा जैन: 2016
¨    एक सेल्फी रिश्तों की : रश्मि प्रणय वागले : 2016
¨    किसी और देश में : विनय कुमार : 2016
¨    इत्रफ़रोश : रोहित शर्मा : 2016
¨    उद्गारों का कलश : कमल नारायण मेहरोत्रा: 2016
¨    ततः किम: संध्या तिवारी: 2016

कुछ और लघुकथा संग्रह----खिली धूप: रुखसाना सिद्दीकी; मेरी रोचक और प्रेरक लघुकथाएँ: सुभाष चन्द्र लखेड़ा; बड़ा भिखारी: रमेश मनोहरा; अन्दर एक समन्दर: सुरेश तन्मय; बोलता आईना: रघुविन्द्र यादव; अपनी-अपनी पीड़ा: रघुविन्द्र यादव; अभी बुरा समय नहीं आया है: राधेश्याम भारतीय; गुरु-ज्ञान : बालकृष्ण शर्मा ‘गुरु’; लघुकथाएँः वैज्ञानिक की कलम से: सुभाष चन्द्र लखेड़ा; पतझड़ में मधुमास:  कृष्णलता यादव;  सच की परछाइयाँ: सावित्री जगदीश; आप ठीक कहते हैं: लक्ष्मी रूपल; उमंग, उड़ान और परिन्दे राजकुमार निजात; शरीफ जसबीर: जसबीर सिंह; मुखौटों के पार: मोइनुद्दीन अतहर; दृष्टि : मोइनुद्दीन अतहर;  मुखौटे: लक्ष्मी शर्मा; अनकही पीड़ा: सुकीर्ति भटनागर; फोकस: सुनील विकास चौधरी;  गाँधीगीरी: आरिफ मोहम्मद; कला का मूल्य: जवाहर इन्दु; कोमा में मछलियाँ: जसबीर चावला;  समकालीन लघुकथाएँ: डा. अरुणेन्द्र भारती; सच को तलाशती लघुकथाएँ: डा. अरुणेन्द्र भारती; चेतना के रंग: कृष्ण लता यादव