Sunday, 27 December 2020

पिंजरा/आशा शर्मा

मुख्य दरवाजे के खुलने का आभास होते ही पिंजरे में बैठा तोता पंख फड़फड़ाने लगा... रमेश की भी आँखें चमक उठीं।  बेटा भीतर आया और एक निगाह दोनों पर डालकर  टेबल पर रखा टीवी का रिमोट उठा लिया।

"कितनी बार कहा है कि बोर हों तो टीवी चला लिया करें, लेकिन आप... " तोते की तरफ देखते हुए आगे के शब्द मुँह में रखे ही बेटे ने रिमोट का बटन दबा दिया.

"कोरोना... कोरोना... कितने नए संक्रमित हुए... कहाँ कितनी मौतें हुई... सरकार और समाज क्या कर रहे हैं... कैसे बचें... क्या करें... क्या न करें... हर चैनल यही समझा और दिखा रहा है!" कहकर रमेश ने वितृष्णा से मुँह फेर लिया। तभी एंकर चीखा...

"सरकार ने कोरोना को लेकर जो एडवाइजरी जारी की है। उसके अनुसार, पैंसठ वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग और दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलने के निर्देश दिए गए हैं।" 

सुनते ही बेटे ने विजयी मुद्रा में पिता की तरफ देखा, मानो घर के मुख्य दरवाजे पर ताला लगाने के उसके फैसले के औचित्य पर मुहर लग चुकी हो।

रमेश अब इस पाँच सितारा कैद से उकता चुका है। कमोबेश यही हाल सामने के घर में रहने वाले बच्चे का भी है। माँ-पापा मुख्य दरवाजे पर ताला लगाकर ऑफिस चले जाते हैं। बच्चे के पास रह जाता है--एक स्मार्ट फोन और सामने गली में खुलने वाली खिड़की। ऑनलाइन क्लास पूरी होते ही बच्चा खिड़की पर आ खड़ा होता है और सुनसान गली को घूरता रहता है।

गली में कचरा बीनने वाले लड़कों और आवारा गाय-कुत्तों के अलावा कोई दिखाई नहीं देता।

एक दिन रमेश ने अपनी बालकनी से बच्चे को देखा तो दोनों मुस्कुरा दिए। लंबे समय के बाद दो बाहरी आदमजात आमने-सामने हुए थे।

स्मार्ट फोन वीडियो कॉल के भी काम आने लगा। बच्चा रमेश के साथ-साथ तोते से भी घुलमिल गया। घर वालों ने चैन की साँस ली क्योंकि आजकल दोनों तरफ से ही अकेलेपन की शिकायत नहीं आ रही थी।

"तुम बड़े होकर क्या करोगे?" एक रोज रमेश ने बच्चे से पूछा।

"कचरा बीनूँगा।" बच्चे ने क्षुब्ध अन्दाज में कहा। फिर व्यग्रता से गली में झांकने लगा, जहाँ कुछ बच्चे कंधे पर प्लास्टिक का थैला लटकाए, बिना मास्क एक-दूसरे के साथ हँसी-ठिठोली करते जा रहे थे। 

उन्हें देखकर तोता भी फड़फड़ाने और टें-टें करने लगा।

3 comments:

shail said...

मार्मिक सच आज के करोनाकाल का। द्रवित करती लघुकथा।

Minni mishra said...

बेहतरीन

Vibha Rashmi said...

करोना काल की लाॅकडाउन की पीड़ा को रेखांकित करती दिल छूती अभिव्यक्ति । बधाई आशा शर्मा जी ।