Monday, 25 February 2019

कथाकार सुधा भार्गव की ओर से…1

कथाकार सुधा भार्गव की ओर से…
 
अविराम साहित्यिकी का अक्तूबर-दिसंबर 2018 का अंक पुराने अंकों के साथ रख रही थी कि एकाएक ध्यान आया पहले अंकों को भी जरा खँगाल लूँ—कहीं ये  अलमारी की शोभा बनकर न रह जाएँ । 2015 का अंक पकड़ में आते ही उसे खोला।  पृष्ठ 4-5 में चंद्रा सायता जी की लघुकथा‘अकेलापन‘ पर नजर पड़ते ही वह मेरे दिल में उतर गई।
आजकल की आपाधापी ज़िंदगी में हर कोई अकेलेपन का शिकार नजर आता है। बुजुर्ग तो बुजुर्ग बच्चे भी इसकी चपेट में हैं। चन्द्रा जी ने इस समस्या को बहुत खूबसूरती व दक्षता से अपनी लघुकथा में उभारा है। इसके बारे मेँ कुछ और कहूँ इससे पहले आप इसे पढ़ लीजिये ----

 अकेलापन / चंद्रा सायता

गुलाब के पौधे की दो टहनियों आपस में इस तरह उलझ गईं की एक पर खिले सफेद फूल दूसरी पर खिले गुलाबी फूल के बीच की दूरी नहीं के बराबर रह गई थी।
सौम्या आँगन में खड़ी अपने इकलौते बेटे अबीर को उन दोनों की ओर संकेत करती बोली,“देखो–देखो अबीर, दोनों कितने सुंदर लग रहे हैं, जैसे भाई-भाई हों ।”
अबीर ने  देखकर भी ऐसा जताया मानो वह देख नहीं रहा हो। माँ के कथन पर उसने किसी प्रकार की मौखिक प्रतिक्रिया भी व्यक्त नहीं की।
मोबाइल पर आ रहे कॉल को सुनने के लिए सौम्या वहाँ से हट गई। बात पूरी  करके वह पुन: उधर पलटी। देखा, कि दोनों में से एक, गुलाबी रंग का फूल, टहनी पर नहीं था! जमीन पर उसकी पत्तियाँ बिखरी पड़ी थीं!!
उसने देखा कि घर के अंदर जाने वाली सीढ़ियों पर अबीर चेहरे को दोनों हथेलियों के बीच थामे, कोहनियाँ घुटनों पर टिकाये उदास मुद्रा में बैठा है।
“यह हरकत तुमने की अबीर?” गुस्से से लाल होती सौम्या ने पूछा।
अबीर ने कोई जबाब नहीं दिया। जस का तस गुमसुम बैठा रहा।
“मैं तुमसे पूछ रही हूँ---।” वह पुन: चीखी।
“हाँ—हाँ—मैंने ही तोड़ा है उसे। जब मेरा कोई भाई नहीं है तो इसका क्यों हो?” उसकी नजर अब सफेद गुलाब की ओर थी और चेहरे पर तनाव।
“अरे भाभी आप यहाँ हो?” कहती हुई सौम्या की छोटी नन्द अपने तीन वर्षीय  बेटे अंकित को गोद में लिए आँगन तक पहुँच चुकी थी। सौम्या उसे अचानक आया देख ठगी—सी रह गई। कुछ पल बाद वह बोली, “अरे लवीला तुम कब आईं?… अरे, हमारा छोटा-सा गोलू गुलाबी ड्रेस में कितना प्यारा लग रहा है” अंकित के गाल चूमते हुए सौम्य बोली। मौके का फायदा उठाते हुए उसने अबीर की ओर देखते हुए कहा, “लो तुम्हारा छोटा भाई आ गया अबीर।”

संपर्क : चन्द्रा सायता, 19,श्रीनगर कॉलोनी (मेन), इंदौर-452018 (म॰प्र॰)
मोबाइल : ॰09329637679
 

अब मैं भी कुछ कह लेती हूँ।  

इस लघुकथा में माँ सौम्या  सफेद और गुलाबी फूलों की ओर इशारा करते कहती है--–“देखो-देखो अबीर, दोनों कित
ने सुंदर लग रहे हैं जैसे भाई-भाई हों।”
वह चुप रहा; पर माँ के जाते ही गुलाबी फूल को टहनी से तोड़ उसे तहस–नहस कर डाला। 
अबीर की यह क्रिया उसकी मानसिक अवस्था को दर्शाती है। वह अकेलेपन से घबरा गया था। उसे अपना एक भाई चाहिए था, जिसके साथ खेल सके–मन की बात कह सके। साथ–साथ जाए-आए। माँ के मुँह से भाई शब्द सुनते  ही उसको ठेस पहुँची । उसे अपना भाई न होने का अभाव खटकने लगा। उससे पैदा हुई खीझ व आक्रोश उसके व्यवहार में आ गया।
जमीन पर बिखरी पट्टियों को देख गुस्से से लाल सौम्या ने पूछा, “यह हरकत तुमने की अबीर।”
“हाँ—हाँ –मैंने ही तोड़ा है  उसे। जब मेरा कोई छोटा भाई नहीं है तो इसका क्यों हो?” उसकी नजर अब सफेद गुलाब की ओर थी और चेहरे पर तनाव।
अबीर के जबाब से स्पष्ट है कि अकेलेपन ने उसे कितना तोड़कर रख दिया था।अकेले ही अकेले घुट रहा था; इसी कारण वह मासूम असमय ही ईर्ष्या, बदले की भावना, क्रोध, तनाव का शिकार हो गया। ऐसे बच्चे अपने मनोभावों को शब्दों का जामा नहीं पहना पाते, केवल महसूस करते हैं।  खुद की लड़ाई अकेले ही लड़ते हैं। यदि माँ–बाप ने अपने बच्चे के असामान्य व्यवहार को ताड़ लिया और समय होते समाधान निकाल लिया तो उस बच्चे को बहुत भाग्यवान समझो।
चन्द्रा जी ने इसी यथार्थ की ओर इशारा करते हुए अपनी लघुकथा का अंत बहुत ही सुंदर ढंग से किया है।
“अरे भाभी आप यहाँ हो?” कहती हुई सौम्या की छोटी ननद अपने  तीन वर्षीय बेटे अंकित को गोद में लिए आंगन तक पहुँच चुकी थी। ---मौके का फायदा उठाते हुये उसने अबीर की ओर देखते हुए कहा, ”लो,तुम्हारा छोटा भाई आ गया अबीर।” अबीर की आँखें खुशी से चमक उठीं।
यह तो होना ही था क्योंकि वह अकेलेपन के अभिशाप से मुक्त हो चुका था।
यह संकेतात्मक लघुकथा अति सहजता से नई पीढ़ी के लिए बहुत कुछ कह गई है। हाँ, उस पीढ़ी के लिए, जो अपने कैरियर की चिंता से ग्रस्त केवल एक बच्चे के माँ-बाप बनने के पक्ष में है। एक बच्चा प्रोब्लम चाइल्ड बनकर रह जाता है। अपने लिए भी और अपने माँ-बाप के लिए भी।
 आशा है भविष्य में बालजगत व उनके मनोविज्ञान से संबन्धित लघुकथाएं और भी पढ़ने को मिलेंगी। 

सुधा भार्गव : 9731552847

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