Saturday 11 August, 2012

शवयात्रा/तपन शर्मा


दोस्तो, लंदन ओलिम्पिक 2012 में भारतीय हॉकी टीम 12वें स्थान पर आयी है। उसने भले ही 21 गोल खाए, लेकिन बहादुरी दिखाते हुए 8 गोल किये भी। इस शानदार उपलब्धि पर आइए, पढ़ते हैं तपन शर्मा की शानदार लघुकथा 'शवयात्रा'

                                                             फोटो:बलराम अग्रवाल
राम नाम सत्य है....
ये किसकी अर्थी जा रही है भाई? एक आदमी ने शवयात्रा जाती हुई देखी तो दूसरे से पूछा।
अरे, तुम्हें नहीं पता? बहुत ऊँचे पद पर थीं ये बूढ़ी अम्मा। सुना है पद्मश्री मिला हुआ था। जवाब मिला।
पर ये हैं कौन?
ज्यादा तो नहीं पता पर कोई मेजर हुए हैं, शायद ध्यानचंद नाम था उनका। उन्हीं की माँ थीं बेचारी।
ध्यानचंद! ज्यादा सुना तो नहीं हैं इस आदमी के बारे में!!
पूरे लगन से अपनी माँ का ख्याल रखता था वो। सुना है, आँच तक नहीं आने दी कभी । फिरंगियों को भी पास नहीं भटकने दिया था।
हम्म।
पर आज देखो, बेचारी को कोई चार काँधे देने वाला भी नहीं मिला।
कोई बीमारी हो गई थी क्या? कौन-कौन थे इनके घर में?
परिवार तो अच्छा बड़ा था, पर पोते-पोतियों ने अपने बाप-दादा का नाम मिट्टी में मिला दिया। बिल्कुल भी इज़्ज़त नहीं दी अपनी दादी को। बीमारी में भी कोई सहारा न दिया। एक तरह से ये ही मौत के जिम्मेदार हैं।
पर पद्मश्री या पद्मविभूषण जिन्हें मिला उन अम्मा का सरकार ने तो ध्यान रखा होगा।
हा हा, कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे हो भाई, सटक गये हो क्या? सरकार ने कभी किसी का ध्यान रखा है जो इनका रखती। पता नहीं कितनी ही बार सरकार से मदद माँगी। हारी बीमारी में भी एक फूटी कौड़ी भी न मिली। आज की तारीख में देखो तो पूरी तरह से नजरअंदाज़ कर दिया था इन्हें।
अच्छा!
और नहीं तो क्या?
पर आस पड़ौसी, या जान पहचान वाले?
कोई किसी का सगा नहीं होता दोस्त। सब अपने मतलब का करते हैं। अम्मा से उन्हें क्या सारोकार होगा। कोई जमीन जायदाद तो थी नहीं। कोई पैसा नहीं। तो फिर क्यों अपना समय नष्ट करते?
सही कहते हो। पर मैंने इन सबके बारे में कभी सुना नहीं। टीवी तो मैं तो रोज़ाना देखता हूँ। सचिन, शाहरूख, धोनी, युवराज, अमिताभ, ऐश्वर्य इन सबके बारे में तो आता रहता है पर इन अम्मा के बारे में नहीं पता चला। कब मृत्यु हुई है इनकी?
यही कोई दो दिन पहले। कहीं बाहर गईं थीं। तीर्थ पर। कहते हैं वहाँ से वापस आते आते ही दिल का दौरा पड़ा और...
ओह। पर मैंने तो कोई खबर नहीं देखी। ब्रेकिंग न्यूज़ में इसका कोई जिक्र ही नहीं था"
हाँ। हो सकता है।
पर इतनी महान होते हुए भी ऐसी दर्दनाक मौत की चिता को आग लगाने वाला भी न मिला। सचमुच अफसोस है। किसी ने कुछ करा भी नहीं।
किसी की कद्र उसके जाने के बाद ही होती है। अब देखना, तुम्हें यही खबर दिखाई देखी हमेशा टीवी पर।
पर देखना ये है कि कब तक? अरे पर तुमने अभी तक इनका नाम नहीं बताया।
मैंने अभी अभी किसी के मुँह से सुना था। उसने इनका नाम हॉकी बतलाया है। तो यही नाम होगा।
हॉकी...
राम नाम सत्य है की ध्वनि फिर से आने लगी थी।
सम्पर्क:सी-159, ऋषि नगर, रानी बाग, दिल्ली-110034

2 comments:

राजेश उत्‍साही said...

राम नाम तो हमेशा सत्‍य ही रहा है। यहां तो किक्रेट नाम सत्‍य है।

दिलबागसिंह विर्क said...

ati sunder............