tag:blogger.com,1999:blog-3469604607014018885.post568374346391521869..comments2024-01-13T02:57:09.093-08:00Comments on जनगाथा: 'परिंदों के दरमियां' मेरी नजर में / पवन जैनबलराम अग्रवालhttp://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3469604607014018885.post-13420112563255299552018-06-23T03:05:34.182-07:002018-06-23T03:05:34.182-07:00सराहनीय प्रयास। बधाई। सराहनीय प्रयास। बधाई। Khudejahttps://www.blogger.com/profile/09223893878668101221noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3469604607014018885.post-91800989960163659582018-06-22T06:16:15.123-07:002018-06-22T06:16:15.123-07:00विवरण में हर मुद्दा समाहित है। उदाहरण तो तभी पढ़ पा...विवरण में हर मुद्दा समाहित है। उदाहरण तो तभी पढ़ पाएँगे जब पुस्तक हाथ में आएगी।Niraj Sharmahttps://www.blogger.com/profile/08598387955996729015noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3469604607014018885.post-17333868487988786742018-06-22T00:55:04.210-07:002018-06-22T00:55:04.210-07:00परिंदों के दरमियाँ वाक़ई एक उपयोगी पुस्तक है। लघुकथ...परिंदों के दरमियाँ वाक़ई एक उपयोगी पुस्तक है। लघुकथा के परिंदे समूह में अतिथि बनकर आये आदरणीय बलराम सर ने सहजता से सभी प्रश्नों का जवाब दिया उसके लिए जितना भी धन्यवाद किया जाए वह कम ही होगा।���� हम सभी बहुत लकी हैं जो इस आयोजन का हिस्सा बन पाए। <br />बढ़िया समीक्षा की है आदरणीय पवन सर आपने । �� Usha Bhadauriahttps://www.blogger.com/profile/12299306809453594167noreply@blogger.com